Yahoo India Web Search

Search results

  1. Apr 15, 2024 · Ramdhari Singh Dinkar Poems In Hindi : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं वीरता, विद्रोह और क्रांति के शब्दों से भरी हुई हैं। उनकी कविताएं व्यक्ति ...

  2. मेरे विशाल! / रामधारी सिंह "दिनकर" श्रेणियाँ: रामधारी सिंह "दिनकर" - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी, अवधी, राजस्थानी आदि पचास से अधिक भाषाओं का काव्य है।.

  3. Jul 11, 2023 · रामधारी सिंह दिनकर जी, जन्म: 23 सितंबर 1908, संवत् 1965 में आईं, जन्मस्थान: सिमरा, बिहार। उनके पिता का नाम बाबूराम था। दिनकर जी की कविताएं हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण धाराओं में गिनी जाती हैं। उन्होंने वाराणसी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातक पद प्राप्त किया और उसके बाद शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे। दिनकर जी के लेखन में विशेष रूप से राष्ट्र...

  4. शक्ति और क्षमा / रामधारी सिंह "दिनकर" - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी, अवधी ...

  5. 1. बापू. मैं उन्हें पूजता आया हूँ बापू ! अब तक अंगारों से ।. बापू ! तू वह कुछ नहीं, जिसे ज्वालाएँ घेरे चलती हैं, बापू ! तू वह कुछ नहीं, दिशाएँ जिसको देख दहलती हैं ।. कूटस्थ पुरुष ! तेरा आसन सब से ऊंचा, सब से महान ।. हो जिसकी संगर-भूमि बिछी गोदी में जगन्नियन्ता की ! मानवता का मर्मी सुजान ! आया तू भीति भगाने को,

  6. रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर" - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी, अवधी ...

  7. हुंकार : रामधारी सिंह 'दिनकर' (हिन्दी कविता) Hunkar : Ramdhari Singh Dinkar. 1. परिचय. सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं बँधा हूँ ...

  8. "एक ओर सत्यमयी गीता भगवान की है, एक ओर जीवन की विरति प्रबुद्ध है; जनता हूँ, लड़ना पड़ा था हो विवश, किन्तु, लहू-सनी जीत मुझे दीखती अशुद्ध है; ध्वंसजन्य सुख याकि सश्रु दुख शान्तिजन्य, ग्यात नहीं, कौन बात नीति के विरुद्ध है; जानता नहीं मैं कुरुक्षेत्र में खिला है पुण्य, या महान पाप यहाँ फूटा बन युद्ध है । "सुलभ हुआ है जो किरीट कुरुवंशियों का, उसमें...

  9. रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। [1][2] वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को इनके काव्य की मूल-भूमि मानते हुए इन्हे 'युग-चारण' व 'काल के चारण' की संज्ञा दी गई है। [3]

  10. कृष्ण की चेतावनी ~ रामधारी सिंह "दिनकर", Krishna Ki Chetavani Poem By Dinkar, Best Dinkar's Poems In hindi, Inspirational Hindi Poems, Best Motivational Hindi Poems. वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर।. सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है।. मैत्री की राह बताने को,