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Mar 19, 2020 · Harivansh Rai Bachchan Poems In Hindi हरिवंश राय बच्चन की कविताएं -: •• अग्निपथ कविता ••. वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छाँह भी, माँग मत, माँग मत, माँग मत, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।. तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।. यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,
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कवि हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्द कविताएँ. Poems on mother, Deshbhakti, Love, Agneepath, Short Poem by Harivansh Rai Bachchan in Hindi. हरिवंश राय प्रेम गीत. जमीन है न बोलती, न आसमान बोलता.. जहान देखकर मुझे, नहीं जबान खोलता.. नहीं जगह कहीं जहां, न अजनबी गिना गया.. कहां-कहां न फिर चुका, दिमाग-दिल टटोलता.. कहां मनुष्य है कि जो, उमीद छोड़कर जिया..
25+ Famous Harivansh Rai Bachchan Poems. Harivansh rai bachchan poem: maine maan li haar. मैंने मान ली हार. पूर्ण कर विश्वास जिसपर, हाथ मैं जिसका पकड़कर, था चला, जब शत्रु बन बैठा हृदय का गीत, मैंने मान ली तब हार! विश्व ने बातें चतुर कर, चित्त जब उसका लिया हर, मैं रिझा जिसको न पाया गा सरल मधुगीत, मैंने मान ली तब हार! विश्व ने कंचन दिखाकर.
गीत मेरे / हरिवंशराय बच्चन. लहर सागर का श्रृंगार नहीं / हरिवंशराय बच्चन. आ रही रवि की सवारी / हरिवंशराय बच्चन. चिडिया और चुरूंगुन ...
हरिवंश राय बच्चन (27 नवम्बर 1907 – 18 जनवरी 2003) हिंदी भाषा के एक कवि और लेखक थे। वे हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक थे । उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म ...
Oct 21, 2023 · Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi | हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ हिंदी में. 1. जो बीत गई – हरिवंश राय बच्चन. जो बीत गई सो बात गई. जीवन में एक सितारा था।. माना वह बेहद प्यारा था. वह डूब गया तो डूब गया।. अंबर के आंगन को देखो. कितने इसके तारे टूटे।. कितने इसके प्यारे छूटे. जो छूट गए फिर कहाँ मिले।. पर बोलो टूटे तारों पर. कब अंबर शोक मनाता है।.
मधुशाला - हरिवंशराय बच्चन| Madhushaalaa - Harivansh Rai Bachchan. काव्यालय| Kaavyaalaya: House of Hindi Poetry. मधुशाला. मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।. प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,