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  1. Feb 10, 2016 · फूल और कांटे. हैं जनम लेते जगत में एक ही‚. एक ही पौधा उन्हें है पालता।. रात में उन पर चमकता चांद भी‚. एक ही–सी चांदनी है डालता।. मेह उन पर है बरसता एक–सा‚. एक–सी उन पर हवाएं हैं वहीं।. पर सदा ही यह दिखाता है समय‚. ढंग उनके एक–से होते नहीं।. छेद कर कांटा किसी की उंगलियां‚. फाड़ देता है किसी का वर वसन।. और प्यारी तितलियों का पर कतर‚.

  2. फूल और काँटा / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी ...

  3. Jun 18, 2018 · कविता. फूल और काँटा. By. अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’. - June 18, 2018. हैं जन्म लेते जगह में एक ही, एक ही पौधा उन्हें है पालता. रात में उन पर चमकता चाँद भी, एक ही सी चाँदनी है डालता।. मेह उन पर है बरसता एक सा, एक सी उन पर हवाएँ हैं बही. पर सदा ही यह दिखाता है हमें, ढंग उनके एक से होते नहीं।. छेदकर काँटा किसी की उंगलियाँ,

  4. Apr 28, 2016 · 'फूल और कांटे' अयोध्या सिंह 'उपाध्याय' जी द्वारा रचित कविता है | इस कविता में कवि ने यह सन्देश देना चाहा है कि किसी का कर्म ही होता है जो उसे महानता के शिखर पर ले जाते हैं | इसमें उसका जन्म या कुल का कोई हाथ नहीं होता | इस बात को स्पष्ट करने के लिए कवि ने फूल और कांटे का चयन किया |.

  5. Jan 13, 2015 · अयोध्या सिंह उपाध्यायहरिऔध’ (१५ अप्रैल, १८६५ – १६ मार्च, १९४७) हिन्दी के एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार है। यह हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रह चुके हैं और सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये जा चुके हैं। प्रिय प्रवास हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है और इसे मंगलाप्रसाद पु...

  6. Jul 2, 2022 · phool aur katen || फूल और काटें || Hindi Poem || Class 8 full poem हैं जनम लेते जगत में एक ही‚एक ही पौधा उन्हें है पालता।रात में उन पर चमकता चांद भी‚एक ही–स...

  7. Jan 7, 2020 · phool aur kaanta - a poem by Ayodhya Singh Upadhyay "Hariaudh" - Read famous Poems, Prose, Memoirs & Stories by legendary Poets & Writers in Hindi & English on pothi.org.

  8. Oct 3, 2016 · साहित्य के जग में खो जाइये , सुनिए यह भावुक हिंदी कविता "फूल और काँटा"कवि : अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' Engross into world of literature with and listen t...

  9. पढ़िए अयोध्या सिंह उपाध्याय की कविता - फूल और काँटे। हैं जनम लेते जगत में एक ही‚ एक ही पौधा उन्हें है पालता। रात में उन पर चमकता चांद भी‚ एक ही–सी चांदनी है डालता।.

  10. Jan 23, 2023 · फूल और कांटे! ( Phool Aur Kaante ) मत बेचो रोशनी अपने मकान की, कुछ तो लाज रखो दुनिया जहान की।. मिसाइलों की भृकुटी चढ़ा रखा है वो, कुछ तो ख्याल कर मेरे आसमान की।. अनजान बन के मत बर्बाद कर उसे, कर कुछ कद्र यू.एन.ओ. के जुबान की।. आदमी से इंसान बनना बड़ा मुश्किल, खाया न करो कसम कभी इंसान की।. फूल और काँटे मिलके तो रह लेते हैं,