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  1. Oct 20, 2023 · रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई हिंदी में (ramayan chaupai in hindi) बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥

  2. Jul 9, 2023 · यहां रामायण दोहा चौपाई हैं: रामायण की 8 चौपाई – ramayan chaupai lyrics. मंगल भवन अमंगल हारी।. द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी।।. हरि अनंत हरि कथा अनंता।. कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥. जा पर कृपा राम की होई।. ता पर कृपा करहिं सब कोई॥. जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।. तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥. होइहि सोइ जो राम रचि राखा।. को करि तर्क बढ़ावै साखा॥.

  3. Oct 10, 2014 · श्रीरामचरितमानस का भक्ति धारा में अद्वितीय एवं सर्वोच्च स्थान है। वेबसाइट RamCharit.in पर आपको (रामचरितमानस गीता प्रेस गोरखपुर को मानक मानकर) सर्वाधिक शुद्ध एवं त्रुटिहीन संस्करण देने का प्रयास किया गया है। यहाँ आप को मूल पाठ, अर्थ सहित पाठ, नवाह्न पारायण, मास पारायण एवं कथा रूप में श्रीरामचरितमानस पढ़ने की सुविधा दी गई है जिसे आप अपनी सुविधा से ...

  4. रामायण की चैपाईयां प्रभु राम के जीवन पर लयबद्ध तरीके से लिखे गए वो छंद जो उनके संपूर्ण जीवन की कथा सुनाते है। इन्हें गोस्वामी तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में ‘श्रीरामचरितमानस’ में लिखा गया है। इन चौपाइयों की भाषा एकदम सरल लेकिन शक्तिशाली होती है, जो पाठकों पर गहरा भावनात्मक प्रभाव छोड़ती है। नीचे रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई का PDF दिया गया है, इन्ह...

  5. Mar 4, 2020 · रामायण चौपाई अर्थ सहित. सोइ जानइ जेहि देहु जनाई।. जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई॥. तुम्हरिहि कृपाँ तुम्हहि रघुनंदन।. जानहिं भगत भगत उर चंदन॥. अर्थ : हे प्रभु! आपको वही जान पाता है जिसे आप जाना देते हैं, और जो आपको जान लेता है, वह आपका ही स्वरूप बन जाता है, अतः हे रघुनंदन! भक्तों के हृदय को शीतल करने वाले चंदन! आपकी कृपा से ही भक्त आपको जान पाते हैं।.

  6. Aug 25, 2023 · रामायण चौपाई अर्थ सहित हिंदी में. जासु नाम जपि सुनहु भवानी। भव बंधन काटहिं नर ग्यानी॥. तासु दूत कि बंध तरु आवा। प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा॥. अर्थ : (शिवजी कहते हैं) हे भवानी सुनो – जिनका नाम जपकर ज्ञानी मनुष्य संसार रूपी जन्म-मरण के बंधन को काट डालते हैं, क्या उनका दूत किसी बंधन में बंध सकता है?

  7. Aug 9, 2020 · रामायण चौपाई अर्थ सहित. परीक्षा में सफलता के लिए रामायण चौपाई. जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।. कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।. मोरि सुधारहिं सो सब भांती।. जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई. जिमि सरिता सागर मंहु जाही।. जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।. तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं।. धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।.