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  1. कोई दीवाना कहता है (कविता) / कुमार विश्वास - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी ...

  2. कविता संग्रह. कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास. एक पगली लड़की के बिन / कुमार विश्वास. प्रतिनिधि रचनाएँ. उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती / कुमार विश्वास. कुछ छोटे सपनो के बदले / कुमार विश्वास. खुद को आसान कर रही हो ना / कुमार विश्वास. जब भी मुँह ढक लेता हूँ / कुमार विश्वास. जाने कौन नगर ठहरेंगे / कुमार विश्वास. जिसकी धुन पर दुनिया नाचे / कुमार विश्वास.

    • चन्द कलियां निशात की कोई दीवाना कहता है
    • यों गाया है हमने तुमको बाँसुरी चली आओ
    • मन तुम्हारा हो गया
    • मै तुम्हे ढूंढने
    • प्यार नहीं दे पाऊँगा
    • नुमाइश
    • तुम गए क्या
    • बेशक जमाना पास था
    • सफ़ाई मत देना
    • बादड़ियो गगरिया भर दे

    कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !! मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है ! ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !! मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है ! कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !! यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं ! जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है...

    बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है तुम अगर नहीं आई गीत गा न पाऊँगा साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है रात की उदासी को याद संग खेला है कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है औषधि चली आओ चोट का निमंत्रण है बाँसुर...

    मन तुम्हारा ! हो गया तो हो गया …. एक तुम थे जो सदा से अर्चना के गीत थे, एक हम थे जो सदा से धार के विपरीत थे ग्राम्य-स्वर कैसे कठिन आलाप नियमित साध पाता, द्वार पर संकल्प के लखकर पराजय कंपकंपाता क्षीण सा स्वर खो गया तो, खो गया मन तुम्हारा ! हो गया तो हो गया……… लाख नाचे मोर सा मन लाख तन का सीप तरसे, कौन जाने किस घड़ी तपती धरा पर मेघ बरसे, अनसुने चाहे ...

    मैं तुम्हें ढूँढने स्वर्ग के द्वार तक रोज आता रहा, रोज जाता रहा तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा जिन्दगी के सभी रास्ते एक थे सबकी मंजिल तुम्हारे चयन तक गई अप्रकाशित रहे पीर के उपनिषद् मन की गोपन कथाएँ नयन तक रहीं प्राण के पृष्ठ पर गीत की अल्पना तुम मिटाती रही मैं बनाता रहा तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई मंच से में तुम...

    ओ कल्पवृक्ष की सोनजुही, ओ अमलताश की अमलकली, धरती के आतप से जलते, मन पर छाई निर्मल बदली, मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा, तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा। तुम कल्पव्रक्ष का फूल और, मैं धरती का अदना गायक, तुम जीवन के उपभोग योग्य, मैं नहीं स्वयं अपने लायक, तुम नहीं अधूरी गजल शुभे, तुम शाम गान सी पावन हो, हिम शिखरों पर...

    कल नुमाइश में फिर गीत मेरे बिके और मैं क़ीमतें ले के घर आ गया, कल सलीबों पे फिर प्रीत मेरी चढ़ी मेरी आँखों पे स्वर्णिम धुआँ छा गया। कल तुम्हारी सुधि में भरी गन्ध फिर कल तुम्हारे लिए कुछ रचे छन्द फिर, मेरी रोती सिसकती सी आवाज़ में लोग पाते रहे मौन आनंद फिर, कल तुम्हारे लिए आँख फिर नम हुई कल अनजाने ही महफ़िल में मैं छा गया, कल नुमाइश में फिर गीत मेरे बिक...

    तुम गए क्या, शहर सूना कर गये, दर्द का आकार दूना कर गये। जानता हूँ फिर सुनाओगे मुझे मौलिक कथाएँ, शहर भर की सूचनाएँ, उम्र भर की व्यस्तताएँ; पर जिन्हें अपना बनाकर, भूल जाते हो सदा तुम, वे तुम्हारे बिन, तुम्हारी वेदना किसको सुनाएँ; फिर मेरा जीवन, उदासी का नमूना कर गये, तुम गए क्या, शहर सूना कर गये। मैं तुम्हारी याद के मीठे तराने बुन रहा था, वक्त खुद जि...

    खुद से बहुत मैं दूर था, बेशक ज़माना पास था जीवन में जब तुम थे नहीं, पल भर नहीं उल्लास था खुद से बहुत मैं दूर था, बेशक ज़माना पास था होठों पे मरुथल और दिल में एक मीठी झील थी आँखों में आँसू से सजी, इक दर्द की कन्दील थी लेकिन मिलोगे तुम मुझे मुझको अटल विश्वास था खुद से बहुत मैं दूर था, बेशक ज़माना पास था तुम मिले जैसे कुँवारी कामना को वर मिला चाँद की ...

    एक शर्त पर मुझे निमन्त्रण है मधुरे स्वीकार सफ़ाई मत देना! अगर करो झूठा ही चाहे, करना दो पल प्यार सफ़ाई मत देना अगर दिलाऊँ याद पुरानी कोई मीठी बात दोष मेरा होगा अगर बताऊँ कैसे झेला प्राणों पर आघात दोष मेरा होगा मैं ख़ुद पर क़ाबू पाऊंगा, तुम करना अधिकार सफ़ाई मत देना है आवश्यक वस्तु स्वास्थ्य -यह भी मुझको स्वीकार मगर मजबूरी है प्रतिभा के यूँ क्षरण हे...

    बादड़ियो गगरिया भर दे बादड़ियो गगरिया भर दे प्यासे तन-मन-जीवन को इस बार तो तू तर कर दे बादड़ियो गगरिया भर दे अंबर से अमृत बरसे तू बैठ महल मे तरसे प्यासा ही मर जाएगा बाहर तो आजा घर से इस बार समन्दर अपना बूँदों के हवाले कर दे बादड़ियो गगरिया भर दे सबकी अरदास पता है रब को सब खास पता है जो पानी में घुल जाए बस उसको प्यास पता है बूँदों की लड़ी बिखरा दे आ...

  3. दो दशक से अधिक का समय हो गया। दो पीढ़ियाँ इसे गाकर-गुनगुनाकर बड़ी हुई ...

    • 14 min
    • 2.7M
    • Kumar Vishwas
  4. कोई दीवाना कहता है : कुमार विश्वास. Koi Deewana Kehta Hai : Kumar Vishwas. पूरा जीवन. बीत गया है, बस तुमको गा, भर लेने में— हर पल. कुछ कुछ रीत गया है, पल जीने में, पल मरने में, इसमें. कितना औरों का है, अब इस गुत्थी को. क्या खोलें, गीत, भूमिका. सब कुछ तुम हो, अब इससे आगे. क्या बोलें... ... यों गाया है हमने तुमको. बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है.

  5. इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है ...

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