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  1. आनंदी एक बड़े उच्च कुल की लड़की थी। उसके बाप एक छोटी-सी रियासत के ताल्लुकेदार थे। विशाल भवन, एक हाथी, तीन कुत्ते, बाज, बहरी-शिकरे, झाड़-फानूस, आनरेरी मजिस्ट्रेटी, और ऋण, जो एक प्रतिष्ठित ताल्लुकेदार के भोग्य पदार्थ हैं, सभी यहाँ विद्यमान थे। नाम था भूपसिंह। बड़े उदार-चित्त और प्रतिभाशाली पुरुष थे, पर दुर्भाग्य से लड़का एक भी न था। सात लड़कियाँ हुईं और...

  2. बड़े घर की बेटी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखित प्रसिद्ध कहानी है । इस कहानी में उन्होंने संयुक्त परिवार में उत्पन्न होने वाली समस्याओं , कलहों ,बात का बतंगड़ बन जाने और फिर आपसी समझदारी से बिगड़ती परिस्थिति को सामान्य करने का हुनर को दर्शाया है। बड़े घर की बेटी में कहानीकार ने पारिवारिक मनोविज्ञान को बड़ी ही सूक्ष्मता से दिखाया गया ।.

    • बड़े घर की बेटी
    • कहानी का उद्देश्य
    • चरित्र चित्रण
    • श्रीकंठ सिंह
    • कहानी के मुख्य बिंदु
    • अवतरण संबंधित प्रश्न – उत्तर

    ‘बड़े घर की बेटी’ हिंदी के प्रसिद्ध लेखक ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखी एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी में ‘मुंशी प्रेमचंद’ ने संयुक्त परिवारों में होने वाली समस्याओं का चित्रण किया है। उन्होंने इस कहानी के माध्यम से यह बताने का प्रयत्न किया है कि संयुक्त परिवारों में जरा-जरा सी बात पर कलह हो जाती है, बात का बतंगड़ बन जाता है और फिर आपसी समझ-बूझ से ब...

    इस कहानी का उद्देश्य कहानी के अंत में निहित है | प्रेमचंद जी ने ही प्रदर्शित किया है कि कुलीन परिवार की विवेकशील या ससुराल में आपसी प्रेम तथा एकता बनाने में अहम भूमिका निभाती है | प्रस्तुत कहानी में लेखक ने बड़े घर की बेटी का सार्थक अर्थ को स्पष्ट किया है कि बड़े घर की बेटी ऐसी नहीं होती है जो घर में झगड़ा करवाएं या अपने अहम के भाव को देखें बल्कि आ...

    आनंदी

    आनंदी एक बड़े घर की बेटी थी वह अत्यंत रूपवान और गुणवती थी | आनंदी परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढाल लेती है | वह कभी भी किसी प्रकार की शिकायत नहीं करती है | वह शुरू से ही संपन्न परिवार में पली बढ़ी हैं | परंतु उसमें घमंड जरा भी नहीं है | आनंदी ने समझदारी तथा व्यक्ति स्वयं को नए घर के प्रवेश के अनुकूल बना लिया है | स्त्रियाँ सब कुछ सह लेती है परंतु अपने मायके की निंदा कभी स्वीकार नहीं कर पाती भोजन को लेकर देवर से कहासुनी होने पर उग्र हो उठी | दयालु स्वभाव होने के कारण वह बात पढ़ते देख समझदारी...

    श्रीकंठ सिंह बेनीमाधव सिंह का बड़ा पुत्र है, अपनी लगन और परिश्रम से बी •ए•की उपाधि प्राप्त की है | पढ़ाई में अधिक ध्यान देने तथा समय पर खाना न खाने के कारण उसका शरीर कमजोर तथा कांतिहीन है | वह नौकरी करता है | श्रीकंठ पाश्चात्य संस्कृत का विशेष समर्थक नहीं है भारतीय संस्कृति में उसका विश्वास है | सम्मिलित परिवार में उसकी अटूट आस्था है | रामलीला में ...

    ठाकुर बेनी माधव सिंह गौरीपुर गाँव के ज़मींदार थे। थे जिनके पितामह बड़े संपन्न थे, पर उनकी वर्तमान आय एक हजार रुपए वार्षिक से अधिक न थी ।

    (क) उसके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य से संपन्न थे | गाँव का पक्का तालाब और मंदिर जिसकी मरम्मत भी मुश्किल थी , उन्हीं के कीर्ति स्तंभ थे | ¡) बेनी माधव सिंह कौन थे ? उनकी वर्तमान आय कितनी थी? उत्तर – बेनी माधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमींदार और नंबरदार थे | उनके पितामह बहुत धनी थे | उनकी वर्तमान आय एक हजार वार्षिक से अधिक थी | ¡¡) कीर्ति स्तंभ शब्द क...

  3. आनंदी एक बड़े ऊँचे ख़ानदान की लड़की थी। उसके बाप एक छोटी सी रियासत के तअल्लुक़ेदार थे। आलीशान महल। एक हाथी, तीन घोड़े, पाँच वर्दी-पोश सिपाही। फ़िटन, बहलियाँ, शिकारी कुत्ते, बाज़, बहरी, शिकरे, जर्रे, फ़र्श-फ़रोश शीशा-आलात, ऑनरेरी मजिस्ट्रेटी और क़र्ज़ जो एक मुअ’ज़्ज़ज़ तअल्लुक़ेदार के लवाज़िम हैं। वो उनसे बहरा-वर थे। भूप सिंह नाम था। फ़राख़-दिल, हौसला-मंद आदमी थ...

  4. Bade Ghar ki Beti| Munshi Premchand ki Kahaani | read stories online. संक्षिप्त परिचय: आनंदी एक बड़े घर की बेटी है परंतु जहां उसका विवाह होता है वह घर उसके मायके जैसा नहीं होता। वह घर के हिसाब से अपने आप को ढाल लेती है बिना किसी शिकायत के पर एक दिन कुछ ऐसा हो जाता है कि वह सहन नहीं कर पाती। ऐसा क्या होता है और तब वह क्या करती है?

  5. Feb 1, 2020 · Addeddate 2020-02-01 11:50:46 Fts-ignore-ingestion-lang-filter true Identifier badegharkibetiauranyakahaniyaanhindi

  6. आनन्दी एक बड़े उच्च कुल की लड़की थी। उसके बाप एक छोटी सी रियासत के तालुकेदार थे। विशाल भवन, एक हाथी, तीन कुत्ते, बाज, बहरी शिकारे, झाड़ फानूस, होनरी मजिस्ट्रेट और ऋण, जो एक प्रतिष्ठित तालुकेदार के भोग्य पदार्थ हैं, सभी यहाँ विद्यमान थे। नाम था भूप सिंह। बड़े उदार चित्त और प्रतिभाशाली पुरुष थे; पर दुर्भाग्य से लड़का एक भी न था। सात लड़कियां हुई औ...

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