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  1. कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी, द्वंदगीत, बापू, धूप छाँह, मिर्च का मज़ा, सूरज का ब्याह. विविध. काव्य संग्रह उर्वशी के लिये 1972 के ...

  2. Apr 15, 2024 · Ramdhari Singh Dinkar Poems In Hindi : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं वीरता, विद्रोह और क्रांति के शब्दों से भरी हुई हैं। उनकी कविताएं व्यक्ति ...

  3. Jul 11, 2023 · रामधारी सिंह दिनकर जी, जन्म: 23 सितंबर 1908, संवत् 1965 में आईं, जन्मस्थान: सिमरा, बिहार। उनके पिता का नाम बाबूराम था। दिनकर जी की कविताएं हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण धाराओं में गिनी जाती हैं। उन्होंने वाराणसी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातक पद प्राप्त किया और उसके बाद शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे। दिनकर जी के लेखन में विशेष रूप से राष्ट्र...

  4. रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर" - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी, अवधी ...

  5. रामधारी सिंह 'दिनकर' » शक्ति और क्षमा | रामधारी सिंह "दिनकर" | गौरव व्यास | कविता | कविता कोश. यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो. कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें. क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल. सबका लिया सहारा. पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे. कहो, कहाँ, कब हारा? क्षमाशील हो रिपु-समक्ष. तुम हुये विनत जितना ही. दुष्ट कौरवों ने तुमको.

  6. पहले विवेक मर जाता है।. हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- ‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।. यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल।. अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें।.

  7. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की वीर रस की कविताएं आपको सदा जोश से भर देंगी। इन्हीं कविताओं में से एक प्रसिद्ध कविता, “ कलम, आज उनकी जय बोल ” भी है। जिसका उद्देश्य मातृभूमि के लिए शहीद होने अथवा अपना सर्वस्व न्यौछावर किया, का जयगान करना है।.

  8. कुरूक्षेत्र : रामधारी सिंह 'दिनकर' (हिन्दी कविता) Kurukshetra : Ramdhari Singh Dinkar. प्रथम सर्ग. वह कौन रोता है वहाँ- इतिहास के अध्याय पर, जिसमें लिखा है, नौजवानों के लहु का मोल है. प्रत्यय किसी बूढे, कुटिल नीतिज्ञ के व्याहार का; जिसका हृदय उतना मलिन जितना कि शीर्ष वलक्ष है; जो आप तो लड़ता नहीं, कटवा किशोरों को मगर, आश्वस्त होकर सोचता,

  9. बापू : रामधारी सिंह 'दिनकर' (हिन्दी कविता) Bapu : Ramdhari Singh Dinkar. 1. बापू. (१) संसार पूजता जिन्हें तिलक, रोली, फूलों के हारों से, मैं उन्हें पूजता आया ...

  10. अवकाश वाली सभ्यता : रामधारी सिंह 'दिनकर'. आग की भीख : रामधारी सिंह 'दिनकर'. आगोचर का आमंत्रण : रामधारी सिंह 'दिनकर'. आधा चाँद : रामधारी सिंह ...