Yahoo India Web Search

Search results

  1. सवारी. शेर / कुत्ता. राहु (प्रतीक: ) हिन्दू ज्योतिष के अनुसार स्वरभानु नाम के दानव का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा का ...

  2. राहु काल. हिन्दू पंचांग के अनुसार, राहु ग्रह के प्रभाव से दिन में एक अशुभ समयावधि होती है जिसमें शुभ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। इस अवधि को राहु काल कहते हैं। यह अवधि लगभग डेढ़ घण्टे की होती है तथा स्थान एवं तिथि के अनुसार इसमें अंतर देखने को मिलता है।. ज्योतिष के अनुसार, राहु ग्रह का मनुष्य जीवन पर प्रभाव.

  3. बारहवां भाव: बृहस्पति का घर, यह अवसाद और अनिद्रा जैसी बड़ी मानसिक बीमारी का कारण होगा। यदि राहु क्रूर है तो जातक पर लगाए गए झूठे आरोप मानसिक तनाव का कारण बनेंगे। संभावित शत्रुओं के साथ साझेदारी करने से असफलता मिलेगी।. उपाय - सौंफ रखने से जातक को राहु के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में मदद मिलेगी।. कमजोर राहु के दुष्प्रभाव को दूर करने के उपाय.

  4. 4 days ago · ज्योतिष में राहु (Rahu) एक छाया ग्रह है जो स्थान व साथी ग्रह के अनुसार परिणाम देता है। एक तरह से ये साथी ग्रह को प्रबल बनाता है। इस लेख में हम राहु ग्रह का वैदिक ज्योतिष में क्या महत्व है, यह मानव जीवन को कैसे प्रभावित करता है? कुंडली में इसका क्या महत्व हैं?

  5. 1. राहु व्रत का पालन करना. राहु को समर्पित व्रत रखना सबसे आसान उपायों में से एक है। इस व्रत को लगातार कम से कम 18 शनिवार तक करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से राहु का नकारात्मक प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है।. 2. राहु बीज मंत्र का जाप करें.

  6. 5 days ago · Rahu Kaal: हमारे धार्मिक ग्रंथों में राहु ग्रह को शुभ कार्यों में बाधा पहुंचाने वाला ग्रह बताया गया है. इसलिए कहा जाता है कि राहुकाल में किसी भी शुभ काम की शुरुआत न करें.

  7. Jul 23, 2024 · Rahu in Vedic Astrology - जानें ज्योतिषीय घरों में राहु की भूमिका और महत्व। राहु का बीज मंत्र और विभिन्न घरों में राहु का प्रभाव।

  8. राहु की महादशा मे सभी ग्रहों की अंतर्दशा. राहुु की महादशा या अन्तर्दशा मे आने वाली नौकरी, रोजगार, व्यवसाय, परिवार, रिलेशनशिप, लव अफेयर ...

  9. राहु एक पुरूष संज्ञक ग्रह है, धुएँ सा रंग, एकांत में रहने वाला, वात प्रकृति वाला, बुद्धिमान, कुरूप, झूठा, कपटी, क्रोधी और निंदक होता है। जबकि कुंडली के तीसरे भाव से कई सकारात्मक और अच्छे क्षेत्रों का संबंध होता है। जब कुंडली के तीसरे भाव में राहु उपस्थित हो तब वह जातक के लिए कुछ नकारात्मक परिस्थितियों का निर्माण कर सकते है। हालांकि कुछ परिस्थिति...

  10. * राहु, राक्षसी सांप का मुखिया है।. * हिन्दू शास्त्रों के अनुसार राहु सूर्य या चंद्रमा को निगलते हुए ग्रहण को उत्पन्न करता है।. * राहु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है, हमारी धरती की छाया या धरती पर पड़ने वाली छाया। छाया का हमारे जीवन में बहुत असर होता है।.