Yahoo India Web Search

Search results

  1. Parvat Pradesh Mein Pavas CBSE Class 10 Hindi Chapter 5 Summary, Explanation and NCERT Solutions (Question Answers) from Sparsh Book.

  2. Mar 20, 2020 · पर्वत प्रदेश में पावस कविता का सार- Parvat Pradesh Mein Pavas Meaning : प्रस्तुत कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने प्रकृति का बड़ा ही सजीव चित्रण किया है। उनकी कविता को पढ़ कर घर की चारदीवारी के अंदर बैठा हुआ व्यक्ति भी किसी पर्वत की चोटी को महसूस कर सकता है। जिसने कभी पर्वत, वन, झरने नहीं देखे, वो पंत जी की भी सुमित्रानंदन इस अद्भुत कविता के ज़...

  3. Mar 24, 2019 · (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- प्रश्न 1. पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। उत्तर- पावस ऋतु में प्रकृति में बहुत-से मनोहारी परिवर्तन आते हैं। जैसे- पर्वत, पहाड़, ताल, झरने आदि भी मनुष्यों की ही भाँति भावनाओं से ओत-प्रोत दिखाई देते हैं।.

  4. भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ जी के द्वारा रचित कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि ये जो झरने हैं, वो विशाल पर्वत के गौरव का बखान करते हुए झर-झर बह रहे हैं | इन झरनों की ध्वनियाँ नस-नस में उत्साह का प्रस्फुटन करती हैं | कवि कहते हैं कि ये जो झाग भरे झरने हैं, वो मोत...

  5. Apr 5, 2023 · पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश, पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश।. इस कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने पर्वतीय इलाके में वर्षा ऋतु का सजीव चित्रण किया है। पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु होने से वहाँ प्रकृति में पल-पल बदलाव हो रहे हैं। कभी बादल छा जाने से मूसलधार बारिश हो रही थी तो कभी धूप निकल जाती है।. मेखलाकर पर्वत अपार. अपने सहस्‍त्र दृग-सुमन फाड़,

  6. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises and tests below for कविता की व्याख्या: पर्वत प्रदेश में पावस. Introduction of कविता की व्याख्या: पर्वत प्रदेश में पावस in English is ...

  7. पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश, पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश।. मेखलाकार पर्वत अपार. अपने सहस्रु दृग - सुमन फाड़, अवलोक रहा है बार-बार. नीचे जल में निज महाकार, जिसके चरणों में पला ताल. दर्पण सा फैला है विशाल! शब्दार्थ: पावस-ऋतु = वर्षा ऋतु. परिवर्तित = बदलता हुआ. प्रकृति वेश = प्रकृति का रूप (वेशभूषा) मेखलाकार = मंडप के आकार वाला. अपार = जिसकी सीमा न हो.