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  1. भारत में सर्वप्रथम मौर्य वंश के शासनकाल में ही राष्ट्रीय राजनीतिक एकता स्थापित हुइ थी। मौर्य प्रशासन में सत्ता का सुदृढ़ केन्द्रीयकरण था परन्तु राजा निरंकुश नहीं होता था। मौर्य काल में गणतन्त्र का ह्रास हुआ और राजतन्त्रात्मक व्यवस्था सुदृढ़ हुई। कौटिल्य ने राज्य सप्तांक सिद्धान्त निर्दिष्ट किया था, जिनके आधार पर मौर्य प्रशासन और उसकी गृह तथा विद...

  2. मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसा पूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था।. यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज ...

    • चन्द्रगुप्त मौर्य एवं मौर्य साम्राज्य का उत्थान
    • मौर्य साम्राज्य एवं बिन्दुसार
    • मौर्य सम्राज्य और सम्राट अशोक
    • अशोक के उत्तराधिकारी तथा मौर्य सम्राज्य का पतन
    • मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था एवं प्रकृति
    • मौर्य वंश का पतन

    चन्द्रगुप्त मौर्य (३२२-२९८ ई. पू. )-अपने गुरु चाणक्य की सहायता से अंतिम नंद शासक घनानंद को पराजित कर २५ वर्ष की आयु में चन्द्रगुप्त मौर्य मगध के राजसिहासन पर आरूढ़ हुआ. चन्द्रगुप्त मौर्य ने व्यापक विजय अभियान चलाकर प्रथम अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की। ३०५ ई.पु. उसने तत्कालीन यूनानी शासक सिल्यूकस निकेटर को पराजित किया। संधि हो जाने के बाद सिल्...

    बिन्दुसार चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र व उत्तराधिकारी था। जिसे यूनानी लेखक अमित्रोचेटस कहते थे। वायुपुराण में इसे भद्रसार तथा जैन ग्रंथों में सिंहसेन कहा गया हैं। उसने सुदूरवर्ती दक्षिण भारतीय क्षेत्रों को भी जीतकर मगध साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। दिव्यावदान के अनुसार इसके शासनकाल में तक्षशिला में दो विद्रोह हुए जिसका दमन करने के लिए पहले अशोक और ...

    जैन जनश्रुति के अनुसार अशोक ने बिंदुसार की इच्छा के विरुद्ध मगध पर अधिकार कर लिया। दक्षिण भारत से प्राप्त मास्की तथा गुज्जरा अभिलेखों में उसका नाम अशोक मिलता हैं। अभिलेखों में अशोक देवानपिय तथा देवनापियदस्सी उपाधियों से विभूषित हैं। विदिशा की राजकुमारी से अशोक का विवाह हुआ तथा उससे पुत्री संघमित्रा तथा पुत्र महेंद्र का जन्म हुआ। अशोक के अभिलेखों मे...

    सम्राट अशोक के बाद अगले ५० वर्ष तक उसके कमजोर उत्तराधिकारी शासन करते रहे। अशोक के बाद कुणाल राजा बना जिसे दिव्यावदान में धर्मविवर्धन कहा गया हैं। राजतरंगिणी के अनुसार उस समय जलौक कश्मीर का शासक था। तारानाथ के अनुसार अशोक का पुत्र वीरसेन गांधार का स्वतंत्र शासक बन गया था। कुणाल के अँधा होने के कारण मगध का प्रशासन उसके पुत्र सम्प्रति के हाथ में आ गया...

    मौर्य काल मे भारत मे पहली बार केन्द्रीक्रत शासन व्यवस्था की स्थापना हुई। सता का केन्द्रीकरण राजा मे होते हुए भी वह निरंकुश नही होता था । कौटिल्य ने राज्य के सात अंग निर्दिष्ट किए हैं। राजा, अमात्य, जनपद, दुर्ग, कोष, सेना और मित्र। राजा द्वारा मुख्यमंत्री व पुरोहित की नियुक्ति उनके चरित्र की भली भांति जांच के बाद ही की जाती थी। इस क्रिया को उपधा परी...

    दो सदियों से भारत को एकसूत्र में बांधकर जो राजवंश शासन करता आ रहा था, अचानक 184 ई पू में पतन हो जाता हैं. अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या उन्ही के अपने सेनापति पुष्यमित्र शुंग के हाथों से होती हैं. जिन्होंने बाद में शुंग वंश की स्थापना की और 112 वर्षों तक भारत पर शासन किया था. मौर्य वंश के पतन के पीछे के कई बड़े कारण हैं जिनमें सबसे बड़ा कारण अयो...

  3. Nov 24, 2023 · मौर्य साम्राज्य NCERT नोट्स (NCERT Notes of Mauryan Empire) में मौर्य राजवंश की वंशावली (Genealogy of Mauryan Empire in Hindi) के बारे में जानना बहुत जरूरी है, इसके लिए नीचं दी गई ...

  4. मौर्य साम्राज्य (Maurya Empire History) का इतिहास, इसके उदय होने और पतन के कारण सहित रोचक जानकारियां, मौर्य काल में धर्म प्रचार, प्रशासन व्यवस्था हिंदी में. चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य ने प्राचीन भारत में 322 ईसा पूर्व से 187 ईसा पूर्व तक प्रभुत्व कायम किया था. यह अपने समय के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक बन गया.

  5. Apr 25, 2020 · चंद्रगुप्त मौर्य (राज: 323-298 ईसा पूर्व) प्राचीन भारत में मौर्य साम्राज्य के पहले संस्थापक थे। वे ऐसे शासक थे जिन्होंने पुरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफल रहे। उनका साम्राज्य पूर्व में बंगाल से अफगानिस्तान और बलोचिस्तान तक और पश्चिम के पकिस्तान से हिमालय और कश्मीर के उत्तरी भाग में फैला हुआ था। और साथ ही दक्षिण में प्लैटॉ तक विस्तृत...

  6. Mar 27, 2024 · बृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शासक था, जिसने लगभग 187 ईसा पूर्व से 180 ईसा पूर्व तक शासन किया था। वह सम्राट अशोक के पोते और अशोक के पुत्र कुणाल के पुत्र थे। बृहद्रथ का शासनकाल राजनीतिक अस्थिरता और आंतरिक कलह से चिह्नित था, क्योंकि उनके कई मंत्रियों और राज्यपालों ने केंद्र सरकार की कीमत पर अपनी शक्ति बढ़ाने की मांग की थी। परंपरा के अनुसार, बृहद्रथ क...