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चंद्रयान-3 एकीकृत मॉड्यूल का दृश्य. चंद्रयान 3 के तीन प्रमुख हिस्से हैं - प्रोपल्शन मॉड्यूल, विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर
Jul 22, 2023 · इस Chandrayaan-3 Mission के द्वारा भारत पुनः चांद की सतह पर अपने लैंडर को उतारने की कोशिश कर रहा था और उसे 23 अगस्त 2023 को शाम 6.04 मिनट पर सफलता मिल ही गई ...
Aug 24, 2023 · स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस. चर्चा में क्यों? चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पहला मिशन बनकर चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया है, दक्षिणी ध्रुव एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी पहले कभी खोज नहीं की गई थी। इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित और सहज चंद्र लैंडिंग, रोवर गतिशीलता और अंतःस्थाने वैज्ञानिक प्रयोगों का प्रदर्शन करना था।.
चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए ...
Aug 23, 2024 · चंद्रयान-3 भारत का एक महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश है। चंद्रयान-3 चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का भारत का दूसरा प्रयास था। यह मिशन...
चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.30 बजे लॉन्च किया गया था. UPDATES: चंद्रयान-3 | लैंडर विक्रम | Chandrayaan 3 | Chandrayaan 3 Moon Landing | ISRO. Chandrayaan-3 Landing : चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही इतिहास रच दिया.
Jul 14, 2023 · चंद्रयान-3 मिशन (chandrayaan 3 mission update in Hindi) एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर से बना है।. चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य (Chandrayaan-3 mission goal in Hindi) अंतरग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों का निर्माण और प्रदर्शन करना है।.
चंद्रयान-3 रोवर: भारत में निर्मित। चंद्रमा के लिए बनाया गया! सीएच-3 रोवर लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की! जल्द ही और अपडेट.
Jul 14, 2023 · 14 जुलाई 2023. अपडेटेड 14 जुलाई 2023. चंद्रयान-3 का लॉन्च शुक्रवार को सफ़लतापूर्वक पूरा हो गया है. चंद्रमिशन के तहत चांद पर भेजा गया चंद्रयान-3 पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा....
श्रीहरिकोटा, 15 जुलाई 2023, (अपडेटेड 15 जुलाई 2023, 2:37 PM IST) ISRO ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. यानी उसकी पहली कक्षा बदल दी गई है. अब वह 42 हजार से ज्यादा की कक्षा में पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर लगा रहा है. फिलहाल इसरो वैज्ञानिक इसकी कक्षा से संबंधित डेटा का एनालिसिस कर रहे हैं.