Yahoo India Web Search

Search results

  1. Nov 26, 2019 · अतिथि देवो भवः पर निबंध Essay on Atithi Devo Bhava in Hindi. आज के इस निबंध में हमने अतिथि देवो भवः (Essay on Atithi Devo Bhava in Hindi) के विषय में बताया है। इस लेख से जान पाएंगे इस श्लोक का अर्थ, महत्व, भारत में स्तिथि का सम्मान, इसका इतिहास, तथा टूरिज्म में इसकी ज़रुरत।. अतिथि देवो भवः. Table of Content.

  2. अतिथि देवो भव यह संस्कृत वाक्य हैं । इस वाक्य का अर्थ हैं की अतिथि भगवान समान होते हैं । हमारे देश में अतिथि को भगवान के समान माना जाता हैं । जब अतिथि घर में आते हैं तब उनका अच्छे से मान सन्मान किया जाता हैं । हमारे घर में आने वाले सभी रिश्तेदार , दोस्त , साधु हमारे रिश्तेदार ही होते हैं । उनका आदर करना हमारा कर्तव्य हैं ।.

  3. बरसों से अतिथि का स्वागत, सम्मान और सत्कार हमारी पवित्र परंपरा रही है। क्या आप जानते हैं कि अतिथि की परिभाषा में कौन आता है? - atithi devo bhav

  4. Feb 20, 2021 · “अतिथि देवों भवः” यह श्लोक हमारे भारत की आन, मान, शान का का प्रतीक है | अतिथि हमारे लिये देवता के तुल्य है| Atithi Devo Bhava : GyanPunji.

  5. वेदों में कहा गया है कि अतिथि देवो भव: अर्थात अतिथि देवतास्वरूप होता है। अतिथि के लक्षण.... - atithi devo bhav.

  6. Mar 2, 2022 · Atithi Devo Bhava “अतिथि देवो भव:” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 10, 12 and Graduate Students.अतिथि देवो भव:

  7. हमारी इस अतिथि देवों भव: की भावना का विदेशियों ने भरपूर फायदा उठाया और अंत में देश में ऐसे कई स्थान निर्मित हो गए जहां पर लाखों की ...

  8. विज्ञापन. अतिथि अगर कोई घर आ जाए, तो मुस्कुराते हुए कहें उनसे आप आए घर हमारे अहो भाग्य हमारे, घर की रसोई में जो हो सबसे अच्छा, वही परोसे अतिथि के आगे, अपनी क्षमता अनुसार. Read more hindi poetry, hindi shayari, hindi kavita on amar ujala kavya.

  9. Jan 1, 2022 · Atithi Devo Bhava (अतिथिदेवो भव:) “Atithi Devo Bhava” (अतिथिदेवो भव:) means “Guest is equivalent to God”. “Atithi Devo Bhava” mantra is mentioned in Taittiriya Upanishad, Shikshavalli 11.2.

  10. Dec 8, 2017 · अतिथि देवो भव की कथा | Atiti Devo Bhav Ki Katha : सूर्यास्त के समय घर आए अतिथि को भोजन कराने से गृहस्थ को महान पुण्य प्राप्त होता है।’ अपनी पत्नी की बात सुनकर कबूतर नीचे उतरकर बहेलिए के समीप पहुंचा और बोला – ‘भद्र ! आपका स्वागत है। कहिए, मैं क्या सेवा करूं आपकी ?’.