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    • कुतुबुद्दीन ऐबक (1150-1210) ने प्रथम मुस्लिम राजवंश की स्थापना कैसे की?
    • इल्तुतमिश (1210-36) ने अपने क्षेत्र का विस्तार कैसे किया?
    • रजिया सुल्तान (1236-39) इल्तुतमिश की उत्तराधिकारी कैसे बनी?
    • बलबन सत्ता में कैसे आया (1246-87)?
    • दिल्ली सल्तनत की प्रशासनिक व्यवस्था
    • दिल्ली सल्तनत में कुलीनता का महत्त्व
    कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत का स्थापक और गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। यह गोरी साम्राज्य का सुल्तान मुहम्मद गोरी का एक गुलाम था। वर्ष 1206 में मुहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबकको  अपना उत्तराधिकारी...
    मुइज़्ज़ुद्दीन का एक और गुलाम, यलदुज़ (Yalduz), गजनी (गजनी)में सफल हुआ। गजनी के शासक के रूप में यलदूज ने दिल्ली पर भी शासन करने का दावा किया।
    हालाँकि यह लाहौर से शासन करने वाले ऐबक द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था लेकिन इसी समय से सल्तनत ने गजनी से अपने संबंध तोड़ लिये थे।
    गुलाम वंश की स्थापना का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबकको जाता है।
    वर्ष 1210 ई. में चौगान (पोलो)खेलते समय घोड़े से गिरकर घायल होने के कारण ऐबक की मृत्यु हो गई।
    उसका उत्तराधिकारी इल्तुतमिश था जो ऐबक का दामादथा।
    इल्तुतमिश को उत्तर भारत में तुर्की विजय का वास्तविक समेकक माना जानाचाहिये।
    सबसे पहले दिल्ली के पास इल्तुतमिश के कुछसाथी अधिकारी भी उसके अधिकार को स्वीकार करने के लिये अनिच्छुक थे। राजपूतों को अपनी स्वतंत्रता का दावा करने का अवसर मिला। कालिंजर, ग्वालियर और पूर्वी राजस्थान...
    इल्तुतमिश ने अपनी पुत्री रजिया को गद्दी पर बैठाने का निश्चय किया।
    अपने दावे को मुखर करने के लिये रजिया को अपने भाइयों के साथ-साथ शक्तिशालीतुर्की अमीरों के खिलाफ भी संघर्ष करना पड़ा और वह केवल तीन वर्ष तक ही शासनकर सकी।
    इसने राजशाही औरतुर्की प्रमुखोंके बीच सत्ता के लिये संघर्ष की शुरुआत को चिह्नित किया, जिसे कभी-कभी 'चालीस' या चहलगानी कहा जाता था।
    इल्तुतमिश का वज़ीर निज़ाम-उल-मुल्क जुनैदी,जिसने उसके सिंहासन पर बैठने का विरोध किया था और उसके खिलाफ रईसों के विद्रोह का समर्थन किया था, हार गया और भागने के लिये मजबूर हो गया।
    पृष्ठभूमि:
    एक अलग समूह का गठन:
    मज़बूत केंद्रीकृत सेना:
    बलबन की मृत्यु:
    प्रशासनिक व्यवस्था के प्रमुखको सुल्तानकहा जाता था।
    पूरे क्षेत्र का नियंत्रण उसके हाथ में था, सिंहासन पर बैठने के बाद पूर्ण शक्ति उसके हाथों में होती थी।
    उसे सेना का सर्वोच्च सेनापतिकहा जाता था।
    सुल्तानकई प्रकार से प्रशासनिक व्यवस्था का प्रमुखहोता था।
    कुतुबुद्दीन बिना किसी संघर्ष के सिंहासन पर आसीन हुआ क्योंकि मुइज़ी रईसों ने उसे अपने शासक के रूप में स्वीकार कर लिया और उनके प्रति अपनी वफादारी प्रदर्शित की।
    दिल्ली की गद्दी पर इल्तुतमिश का राज्यारोहण भारत में तुर्की अभिजात वर्ग के विकास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
    यह सशस्त्र शक्ति के माध्यम से रईसों द्वारा अपने नेताओं का चयन करने की शक्तिको दर्शाता है।
    दिल्ली में कुलीन वर्गों नेशासक के चयन में प्रमुखता हासिल की और दिल्ली तुर्की शासनकी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया।
  1. Apr 3, 2022 · गुलाम वंश का सम्पूर्ण इतिहास (Gulaam Vansh Ka Sampoorn Itihaas) History of Slave Dynasty in Hindi : विद्यादूत की भारत का इतिहास केटेगरी में मध्यकालीन भारत का इतिहास (History of Medieval India) के अंतर्गत दिल्ली सल्तनत का इतिहास (History of Delhi Sultanate) टॉपिक में आज हम गुलाम वंश का सम्पूर्ण इतिहास (History of Slave Dynasty in Hindi) लेख प्रस्...

  2. Aug 29, 2020 · दिल्ली सल्तनत : गुलाम वंश (Delhi Sultanate: Slave Dynasty 1206-1290 A.D.) August 29, 2020 Dr. Jai Prakash. Table of Contents. गुलाम वंश. मामलूक अथवा गुलाम वंश (1206-1290 ई.) नामकरण. कुतबुद्दीन ऐबक का आरंभिक जीवन. ऐबक के शासनकाल का विभाजन. ऐबक का सिंहासनारोहण. ऐबक की समस्याएँ और समाधान. ऐबक की उपलब्धियाँ. वैवाहिक संबंध. ऐबक तुर्की राज्य का संस्थापक.

  3. गुलाम वंश (slave dynasty) के अधिकांश शासक निरंकुश थे। यह निरंकुशता सबसे पहले रजिया सुल्तान में देखने को मिलती है। इसके समय “चालीस दल” के अमीर तुर्की सत्ता पर अपना अधिकार मानते थे।.

  4. गुलाम राजवंश का परिचय (Introduction to the Slave Dynasty in Hindi) गुलाम वंश (Slave Dynasty) 1206 से 1290 ईस्वी तक भारत पर शासन करने वाला पहला मुस्लिम वंश था. इसकी स्थापना कुतुब-उद-दीन ऐबक ने की थी, जो मुहम्मद गौरी का तुर्की गुलाम था.

  5. मध्यकालीन भारत का इतिहास, दिल्ली सल्तनत, मामलुक वंश या गुलाम वंश का इतिहास, Mamluk dynasty or Slave dynasty in Hindi, गुलाम वंश का प्रथम शासक ( संस्थापक ...