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  1. आईपीसी की धारा 406 के तहत सजा आपराधिक हनन करके या धोखे से कब्जा की गई संपत्ति की राशि/मूल्य के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। जैसे यदि संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से अधिक नहीं है, तो अपराध को मामूली अपराध माना जाता है और इसके लिए सजा एक वर्ष तक कारावास या जुर्माना, या दोनों है। यदि मूल्य सौ रुपये से अधिक है, तो अपराध को अधिक गंभीर माना जाता है, और स...

  2. Apr 20, 2024 · धारा 406 (406 IPC in Hindi) के अधीन, अपराधी को अपने प्रकरण में गिरफ्तारी के बाद अदालत से जमानत लेने का अधिकार होता है, लेकिन जमानत गैर-जमानती होती है, जिसका मतलब है कि अपराधी को अपने आप को अपने जिम्मेदारियों के लिए अदालत में पेश करने का अनुमति होता है, लेकिन उसको समय से पहले रिहा नहीं किया जा सकता।.

  3. Sep 28, 2023 · ipc 406 के कानूनी परिणाम. 1. धारा 406 में सजा. ipc की धारा 406 के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

  4. भारतीय दंड संहिता की धारा 406 आपराधिक न्यास भंग के लिए सजा प्रदान करती है। इसमें कहा गया है कि आपराधिक न्यास भंग के अपराधों के लिए 3 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकती है।. आपराधिक न्यास भंग की सजा सुनिश्चित करने के लिए दो तथ्य अनिवार्य रूप से साबित किये जाने चाहिए, जो निम्न हैं: संपत्ति का दुरुपयोग.

  5. IPC 406 in Hindi: यह धारा "विश्वास का आपराधिक हनन" से संबधित है। इस धारा में सज़ा और जमानत के बारे में विस्तार से समझते है।

  6. IPC की धारा 406 — आपराधिक न्यासभंग के लिए दण्ड –. जो कोई आपराधिक न्यासभंग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।.

  7. People also ask

  8. Jun 17, 2021 · यह अपराध एक अजमानतीय, संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। इस धारा में आरोप लगाए गए व्यक्ति को इतनी आसानी से जमानत नहीं मिलेगी। आपराधिक हनन “Criminal Breach of Trust” करने वाले अपराधों मे जमानत अपराधी के अपराध के अनुसार जुर्म की गहराइयों को देखकर ही उच्च न्यायालय से ही जमानत मिल सकती है, यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।.