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  1. सात तत्त्व. जैन ग्रंथों में सात तत्त्वों का वर्णन मिलता हैं। यह हैं- जीव- जैन दर्शन में आत्मा के लिए "जीव" शब्द का प्रयोग किया गया हैं। आत्मा द्रव्य जो चैतन्यस्वरुप है। [3] अजीव- जड़ या की अचेतन द्रव्य को अजीव (पुद्गल) कहा जाता है।. आस्रव - पुद्गल कर्मों का आस्रव करना. बन्ध- आत्मा से कर्म बन्धना. संवर- कर्म बन्ध को रोकना.

  2. जैन शब्द ’जिन’ शब्द से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ ’विजेता’ होता है। संसार की मोह-माया व इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करना ही जैन धर्म (Jain Dharm) का एकमात्र उद्देश्य है।. जिन – जिसने इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ली, उसे जिन कहते है।. जिन के अनुयायी जैन कहलाते है।. इन जिनो को जैन धर्म में तीर्थंकर कहते है।.

  3. Feb 12, 2022 · जैन धर्म एक प्राचीन धर्म है जो उस दर्शन में निहित है जो सभी जीवित प्राणियों को अनुशासित, अहिंसा के माध्यम से मुक्ति का मार्ग एवं आध्यात्मिक शुद्धता और आत्मज्ञान का मार्ग सिखाता है।. जैन धर्म की उत्पत्ति कब हुई? छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जब भगवान महावीर ने जैन धर्म का प्रचार किया तब यह धर्म प्रमुखता से सामने आया।.

  4. सम्मेत्त शिखर, राजगिर, पावापुरी, गिरनार, शत्रुंजय पावागढ़ आदि जैनों के प्रसिद्ध तीर्थ हैं। पर्यूषण पर्व व महावीर स्वामी जन्म ...

  5. जैन दर्शन सबसे प्राचीन भारतीय दर्शन में से एक है। इसमें अहिंसा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। जैन धर्म की मान्यता अनुसार 24 तीर्थंकर समय-समय पर संसार चक्र में फसें जीवों के कल्याण के लिए ...

  6. Jun 6, 2024 · Jain Dharma in Hindi. जैन धर्म के प्रथम तिर्थकर ऋषभदेव जी थे। जिन्हे ऋषभनाथ, आदिनाथ, एवं वृषभनाथ के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म स्थान ...

  7. May 21, 2017 · जैन धर्म के इतिहास, उनके नियम, उपदेश और सिद्धांत के बारे में पढ़ें. 24 तीर्थंकर के नाम. Jain Dharm History in Hindi. Mahavir Jain ki kahani aur unke updesh.

  8. Jain Dharma History in Hindi – जैन धर्म एक प्राचीन धर्म हैं. अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धांत हैं. जैन ग्रंथो की अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थकर भगवान ...

  9. जैन धर्म के अनुसार पाँच प्रकार के ज्ञान हैं- मति, जो इंन्द्रियों के द्वारा प्राप्त होता है. श्रुति, जो सुनकर या वर्णन के द्वारा प्राप्त होता है. अवधि, जो दिव्य ज्ञान है. मन पर्याय, जो अन्य व्यक्तियों के मन-मस्तिष्क की बात जान लेने का ज्ञान है. कैवल, जो पूर्ण ज्ञान है और निग्रंथों को प्राप्त होता है।. स्याद्वाद या अनेकांतवाद या सप्तभंगी का सिद्धान्त

  10. Feb 27, 2018 · Jain Dharma History in Hindi / अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। ‘जैन’ उन्हें कहते हैं, जो ‘जिन’ के अनुयायी हों। ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से। ‘जि ...