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  1. Thirrupathi Brothers is an Indian Tamil film production company owned by brothers N. Subash Chandrabose and N. Lingusamy and was founded in 2006. [1] History. The first venture of Thirrupathi Brothers was Deepavali, directed by Ezhil with Jayam Ravi and Bhavana in lead roles. [2] . It was a moderate success. [3] .

  2. Subhas Chandra Bose ( / ʃʊbˈhɑːs ˈtʃʌndrə ˈboʊs / ⓘ shuub-HAHSS CHUN-drə BOHSS; [12] 23 January 1897 – 18 August 1945) was an Indian nationalist whose defiance of British authority in India made him a hero among many Indians, but his wartime alliances with Nazi Germany and Imperial Japan left a legacy vexed by authoritarianism, anti-Semitism, an...

  3. N. Subash Chandrabose is a male Indian producer who is known for his work in Tamil cinema. He has produced numerous films and has received several accolades, including awards from Filmfare, national honors, and South Indian international movie awards.

    • Producer
    • January 1, 2024
    • जन्म और पारिवारिक जीवन
    • शिक्षादीक्षा से लेकर आईसीएस तक का सफर
    • स्वतन्त्रता संग्राम में प्रवेश और कार्य
    • कारावास
    • यूरोप प्रवास
    • ऑस्ट्रिया में प्रेम विवाह
    • हरीपुरा कांग्रेस का अध्यक्ष पद
    • कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा
    • फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना
    • नजरबन्दी से पलायन

    नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। पहले वे सरकारी वकील थे मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। उन्होंने कटक की महापालिका में लम्बे समय तक काम किया था और वे बंगाल विधानस...

    कटक के प्रोटेस्टेण्ट स्कूल से प्राइमरी शिक्षा पूर्ण कर 1909 में उन्होंने रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिला लिया। कॉलेज के प्रिन्सिपल बेनीमाधव दास के व्यक्तित्व का सुभाष के मन पर अच्छा प्रभाव पड़ा। मात्र पन्द्रह वर्ष की आयु में सुभाष ने विवेकानन्द साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया था। 1915 में उन्होंने इण्टरमीडियेट की परीक्षा बीमार होने के बावजूद द्व...

    कोलकाता के स्वतन्त्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन दास के कार्य से प्रेरित होकर सुभाष दासबाबू के साथ काम करना चाहते थे। इंग्लैंड से उन्होंने दासबाबू को खत लिखकर उनके साथ काम करने की इच्छा प्रकट की। रवींद्रनाथ ठाकुर की सलाह के अनुसार भारत वापस आने पर वे सर्वप्रथम मुम्बई गये और महात्मा गांधीसे मिले। मुम्बई में गांधी मणिभवन में निवास करते थे। वहाँ 20 जुल...

    अपने सार्वजनिक जीवन में सुभाष को कुल 11 बार कारावास हुआ। सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 में छह महीने का कारावास हुआ। 1925 में गोपीनाथ साहा नामक एक क्रान्तिकारी कोलकाता के पुलिस अधीक्षक चार्लस टेगार्ट को मारना चाहता था। उसने गलती से अर्नेस्ट डे नामक एक व्यापारी को मार डाला। इसके लिए उसे फाँसी की सजा दी गयी। गोपीनाथ को फाँसी होने के बाद सुभाष फूट फूट...

    सन् 1933 से लेकर 1936 तक सुभाष यूरोप में रहे। यूरोप में सुभाष ने अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए अपना कार्य बदस्तूर जारी रखा। वहाँ वे इटली के नेता मुसोलिनी से मिले, जिन्होंने उन्हें भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में सहायता करने का वचन दिया। आयरलैंड के नेता डी वलेरा सुभाष के अच्छे दोस्त बन गये।जिन दिनों सुभाष यूरोप में थे उन्हीं दिनों जवाहरलाल नेहरू की पत...

    सन् 1934 में जब सुभाष ऑस्ट्रिया में अपना इलाज कराने हेतु ठहरे हुए थे उस समय उन्हें अपनी पुस्तक लिखने हेतु एक अंग्रेजी जानने वाले टाइपिस्ट की आवश्यकता हुई। उनके एक मित्र ने एमिली शेंकल (अं: Emilie Schenkl) नाम की एक ऑस्ट्रियन महिला से उनकी मुलाकात करा दी। एमिली के पिता एक प्रसिद्ध पशु चिकित्सक थे। सुभाष एमिली की ओर आकर्षित हुए और उन दोनों में स्वाभा...

    1938 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हरिपुरा में होना तय हुआ। इस अधिवेशन से पहले गान्धी जी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सुभाष को चुना। यह कांग्रेस का 51 वाँ अधिवेशन था। इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चन्द्र बोस का स्वागत 51 बैलों द्वारा खींचे हुए रथ में किया गया। इस अधिवेशन में सुभाष का अध्यक्षीय भाषण बहुत ही प्रभावी हुआ। किसी भी भारतीय राजनीतिक व्य...

    1938 में गांधीजी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सुभाष को चुना तो था मगर उन्हें सुभाष की कार्यपद्धति पसन्द नहीं आयी। इसी दौरान यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध के बादल छा गए थे। सुभाष चाहते थे कि इंग्लैंडकी इस कठिनाई का लाभ उठाकर भारत का स्वतन्त्रता संग्राम अधिक तीव्र किया जाये। उन्होंने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में इस ओर कदम उठाना भी शुरू कर दिया था परन्...

    3 मई 1939 को सुभाष ने कांग्रेस के अन्दर ही फॉरवर्ड ब्लॉक के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की। कुछ दिन बाद सुभाष को कांग्रेस से ही निकाल दिया गया। बाद में फॉरवर्ड ब्लॉक अपने आप एक स्वतन्त्र पार्टी बन गयी। द्वितीय विश्वयुद्धशुरू होने से पहले से ही फॉरवर्ड ब्लॉक ने स्वतन्त्रता संग्राम को और अधिक तीव्र करने के लिये जन जागृति शुरू की। 3 सितम्बर 1939 को ...

    नजरबन्दी से निकलने के लिये सुभाष ने एक योजना बनायी। 16 जनवरी 1941 को वे पुलिस को चकमा देते हुए एक पठान मोहम्मद ज़ियाउद्दीन के वेश में अपने घर से निकले। शरदबाबू के बड़े बेटे शिशिर ने उन्हे अपनी गाड़ी से कोलकाता से दूर झारखंड राज्य के धनबाद जिले (गोमोह) तक पहुँचाया। गोमोह रेलवे स्टेशन(वर्तमान में नेता जी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन, गोमोह) से फ्रण्टियर मे...

  4. Indian nationalist leader Subhas Chandra Bose died on 18 August 1945 from third-degree burns sustained after the bomber in which he was being transported as a guest of Lieutenant General Tsunamasa Shidei of the Imperial Japanese Kwantung Army crashed upon take off from the airport in Taihoku, Japanese Formosa, now Taipei, Taiwan.

  5. May 27, 2024 · Subhas Chandra Bose (born c. January 23, 1897, Cuttack, Orissa [now Odisha], India—died August 18, 1945, Taipei, Taiwan?) was an Indian revolutionary prominent in the independence movement against British rule of India. He also led an Indian national force from abroad against the Western powers during World War II.

  6. People also ask

  7. Subhash Chandra Bose was one of the most celebrated freedom fighters of India. He was a charismatic influencer of the youth and earned the epithet ‘Netaji’ by establishing and leading the Indian National Army (INA) during India’s struggle for independence.