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  1. प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाकतार विभाग की ओर से ३० जुलाई १९८० को उनकी जन्मशती के अवसर पर ३० पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया ...

  2. प्रेमचंद की मृत्यु कब हुई. 8 अक्टूबर 1936. प्रेमचंद जी की मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 में ब्रिटिश इंडिया के बनारस में लम्बी बीमारी के चलते हुई थी ...

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    • प्रेमचंद का परिचय
    • शुरुआती जीवन
    • प्रेमचंद का विवाह
    • लेखन में आगमन
    • सोजे वतन घटनाक्रम व प्रेमचंद नाम अधिग्रहण
    • प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां
    • प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास
    • प्रेमचंद की मृत्यु

    मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही (वाराणसीके पास एक गांव) में हुआ था। उनके जन्म का मूल नाम “धनपत राय श्रीवास्तव” था। प्रेमचंद के पिता का नाम अजायब राय तथा माता का नाम आनंदी देवी था। अजायब राय एक पोस्ट ऑफिस में क्लर्क का काम करते थे तथा आनंदी देवी गृहणी थी। प्रेमचंद अपनी माता आनंदी देवी के व्यक्तित्व से बहुत ज्यादि प्रभावित हुए। इसीलिए उन...

    धनपत राय अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनकी दो बड़ी बहनें जन्म लेने के बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो गई। उनकी एक जीवित बहन थी जो उनसे बड़ी थी जिसका नाम सुग्गी था। जब बालक धनपत राय 7 वर्ष के हुए तब उन्हें लमही के एक मदरसे में पढ़ने के लिए भेजा गया। विधाता की होनी को कौन टाल सकता था। दुर्भाग्यवश, जब धनपत मात्र 8 वर्ष के थे तब उनकी माता आनंदी देवी की...

    धनपत बनारस के क्वींस कॉलेज में अध्ययन कर रहे थे। जब वह नौवीं कक्षा में थे तब उनका विवाह करवा दिया गया। उस समय धनपत की उम्र मात्र 15 वर्ष थी। यह विवाह धनपत के नाना ने तय करवाया था। लड़की एक संपन्न भू-मालिक के परिवार से थी। हालांकि, वह धनपत से उम्र में बड़ी, झगड़ालू, तथा कम सुंदर थी। । 1896 के समय में, प्रेमचंद की पत्नी व सौतेली माता के बीच में झगड़े...

    प्रेमचंद ने दसवीं पास करने के बाद बनारस के केंद्रीय हिंदू कॉलेज में प्रवेश लेना चाहा। परंतु, वहां की अंकगणित उन्हें समझ नहीं आई और बाद में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया जिसके लिए उन्हें ₹18 प्रति महीने की सैलरी पर रखा गया। बनारस के एक वकील के बेटे को पढ़ाने के लिए उन्हें ₹5 प्रति महीना मिला करता था।...

    1909 में प्रेमचंद के द्वारा लिखे गए एक उपन्यास सोजे वतनके बारे में ब्रिटिश सरकार को पता चल गया। सोजे वतन में देश की आजादी से जुड़ी हुई कहानियां लिखी गई थी। उस समय प्रेमचंद हमीरपुर जिले के एक स्कूल में अध्यापन का कार्य कर रहे थे। हमीरपुर जिले के ब्रिटिश कलेक्टर ने प्रेमचंद के घर पर रेड डालने के आदेश दिए। इस रेड में प्रेमचंद के घर में 500 के लगभग सोज...

    प्रेमचंद की लेखन कला ही ऐसी थी कि उनके द्वारा लिखी गई सभी कहानियाँ प्रसिद्ध हुई। उनकी कहानियों में सरलता व स्पष्टता दिखाई पड़ती है जिसकी वजह से यह आमजन को आसानी से समझ में आ जाती है। उनकी कहानियां मनोरंजन, भाव इत्यादि से भरी रहती है और अंत में एक शिक्षाप्रद संदेश देती है। प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां- 1. दो बैलों की कथा 2. बड़े घर की बेटी 3. पंच प...

    प्रेमचंद मात्र कहानीकार ही नहीं बल्कि एक बहुत बड़े उपन्यासकार भी थे। उनके द्वारा रचित उपन्यास बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। उनके द्वारा रचित कुछ उपन्यास निम्नलिखित हैं – 1. गोदान 2. गबन 3. सेवासदन 4. रंगभूमि 5. कर्मभूमि 6. प्रतिज्ञा 7. कायाकल्प 8. वरदान 9. मंगलसूत्र अन्य उपन्यास पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

    प्रेमचंद ने अपने अध्यापन कार्य को छोड़ दिया और 18 मार्च 1921 को बनारस चले आए। ‌अपनी जॉब छोड़ने के बाद उन्होंने सिर्फ साहित्य कार्य पर ध्यान दिया। जॉब छोड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब होने लग गई। उन्होंने भारत के असहयोग आंदोलन में साथ देने के लिए महात्मा गांधी के कहने पर ब्रिटिश सरकार की जॉब छोड़ दी। 8 अक्टूबर 1936 को मुंशी प्रेमचंद की बनारस...

  3. मुंशी प्रेमचंद की मृत्यु (Munshi Premchand Death) अपने जीवन के अंतिम दिनों में “मंगलसूत्र” उपन्यास लिख रहे थे.

  4. Mar 23, 2018 · सन 1910 के मध्य तक प्रेमचंद उर्दू के एक प्रसिद्ध लेखक बन चुके थे और सन 1914 तक वह हिंदी के भी लेखक बन गए थे। सन् 1916 में उन्होंने गोरखपुर के ...

  5. मुंशी प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग की ओर से 31 जुलाई, 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया ...

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  7. मुंशी प्रेमचंद 31 जुलाई 1880 को बनारस के नज़दीक लमही गांव में पैदा हुए। उनका असल नाम धनपत राय था और घर में उन्हें नवाब राय कहा जाता था ...