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  1. Oct 14, 2021 · यहाँ पर आप साहित्य सागर के कार्यवाह Bheed Mein Khoya Aadmi के प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे। इस कथा में लेखक के मित्र के परिवार की समस्या और लेखक की समझ का कहना दिखाया गया है।

    • भीड़ में खोया आदमी
    • कहानी का उद्देश्य
    • शीर्षक की सार्थकता
    • बाबू श्यामला कांत
    • कहानी के मुख्य बिंदु
    • अवतरण सम्बंधित प्रश्न उत्तर

    ” भीड़ में खोया आदमी ” लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा लिखा गया निबंध है| इस निबंध में लेखक ने आज के समय की एक महत्वपूर्ण बढ़ती समस्या जनसंख्या के बारे में बताया है| इस निबंध में लेखक ने पाठकों को बताया हैं कि देश की बढती जनसंख्या बहुत बड़ी चिंता का विषय है|लेखक ने निबंध के माध्यम से कडवी सच्चाई को दिखाना है कि जहां एक ओर देश की जनसंख्या बढ़ रही है वही...

    बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति जनता के मन में जागरूकता लाने के लिए इस निबंध की रचना की गई है | लेखक ने , अपने अपने मित्र श्यामलाकांत के परिवार के माध्यम से बढ़ती हुई जनसंख्या से उत्पन्न होने वाले संकटों और समस्याओं की ओर लेखक का ध्यान आकर्षित करवाया है, घरों, दफ्तरों, राशन की लाइनों, स्टेशनों, सड़कों आदि का उदाहरण देकर यह समझाया है कि बढ़ती हुई आबादी ...

    प्रस्तुत निबंध का शीर्षक देश की ज्वलंत समस्या जनसंख्या पर आधारित है | आरंभ से अंत तक लेखक ने देश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे घर , स्टेशन , अस्पताल, रोजगार , कार्यालय राशन की दुकान आदि में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण को विभिन्न उदाहरणों द्वारा समझाया है , स्वमय शक्ति और धन व्यय करने के बाद भी आज अपना काम पूरा नहीं कर पाता है बढ़ती हुई भीड़ में आदमी का ...

    बाबू श्यामलाकांत लेखक के मित्र थे। वह स्वभाव से सीधे-सादे, परिश्रमी किन्तु लापरवाह किस्म के आदमी थे। उन्होंने बच्चों की फौज़ खड़ी कर ली थी। लेखक से छोटे होने के बावजूद भी उनके सात बच्चे थे। बेटे को नौकरी नहीं मिल पाई थी। पत्नी भी बीमार ही रहती थी। बड़ा परिवार होने के कारण उनके परिवार के सदस्य सुख सुविधाओं से वंचित थे।

    लेखक के एक मित्र बाबू श्यामलाकांत सीधे-सादे, परिश्रमी, ईमानदार किंतु जिंदगी में बड़े लापरवाह हैं।
    उम्र में लेखक से छोटे हैं, परंतु अपने घर में बच्चों की फौज खड़ी कर ली है।
    पिछली गर्मियों में लेखक को उनकी लड़की के विवाह में सम्मिलित होने के लिए हरिद्वार जाना पड़ा। गाड़ियों में अत्यधिक भीड़ के कारण उन्हें बिना आरक्षण के ही जाना पड़ा।
    लक्सर में गाड़ी बदलते वक्त लेखक ने देखा कि पूरी ट्रेन की छत यात्रियों से पटी पड़ी है। वह सोचता है कि अपने प्राणों को संकट में डालकर लोग इस प्रकार यात्रा करने के लिए क्यों मजबूर हैं ?
    श्यामलाकांत जी के बड़े लड़के दीनानाथ को पढ़ाई पूरी किए दो वर्ष हो गए हैं, परंतु वह अभी भी नौकरी की तलाश में भटक रहा है। हजारों व्यक्ति पहले से ही नौकरी के लिए लाइन में लगे हैं।
    मित्र के छोटे-से मकान में भरे हुए सामान और बच्चों की भीड़ देखकर लेखक का दम घुटने लगता है। दो वर्ष तक भटकने के बाद उन्हें सिर छिपाने के लिए यह छत मिली थी।

    ( क ) पंद्रह दिन पहले आरक्षण के लिए स्टेशन पर गया तो वहाँ पहले से ही लोगों की लंबी कतार खड़ी थी | ¡) लेखक कहाँ जा रहा था और क्यों ? उत्तर – लेखक के करीबी मित्र बाबू श्यामलाकांत की बेटी की शादी थी | लेखक विवाह में सम्मिलित होने के लिए हरिद्वार जा रहा था | ¡¡ ) लेखक ने अपने मित्र का क्या प्रारंभिक परिचय दिया है? उत्तर – लेखक के मित्र का नाम बाबू श्या...

  2. Apr 6, 2024 · भीड़ में खोया आदमी कहानी के मुख्य बिंदु. लेखक के एक मित्र बाबू श्यामलाकांत सीधे-सादे, परिश्रमी, ईमानदार किंतु जिंदगी में बड़े ...

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  3. भीड़ में खोया आदमी कहानी का सारांश. लेखक को बाबू श्यामलाकान्त की लड़की के विवाह का निमंत्रण मिला। श्यामलाकान्त हरिद्वार में रहते थे ...

  4. Apr 4, 2024 · The phrase “ Bheed Me Khoya Aadmi ” in English translates to “A Lost Man in the Crowd.”. This expression represents a common feeling of anonymity and disorientation that individuals often experience when they are surrounded by a large number of people or when they feel lost in a bustling crowd.

  5. For ICSE Board Class 9 and Class 10 Bheed Mien Khoya Aadmi Sahitya Sagar Chapter / Story explanation in Hindi Nibhand / composition written by Liladhar Shar...

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  6. Jan 11, 2023 · In this post we have given Bheed Me Khoya Aadmi (Leeladhar Sharma Parvatiya) Question Answer in Handwritten format. All the questions given below are so important prescribed by our Hindi Teacher (Shri. Jyoti Jain). Hope it will help You.

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