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  1. Munshi Premchand Ki Kahani | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां Munshi Premchand short stories in Hindi. प्रेमचंद की कहानियों में प्रेमाश्रम, गोदान, रंगभूमि, सेवासदन, व कर्मभूमि जैसे ...

  2. बासी भात में खुदा का साझा (Baasi Bhaat Mein Khuda Ka Sajha)

  3. प्रेमचंद की कहानियों की सूची (List of Premchand Stories in Hindi). किसी भी कहानी को पढ़ने के लिए उस पर क्लिक करें. समय के साथ ये Premchand Ki Kahaniya बढ़ाते रहेंगे.

  4. 250+ Premchand Stories Hindi | प्रेमचंद की कहानियाँ | PDF. हिंदी पाठको के लिए इस पोस्ट में प्रेमचंद जी की लगभग सभी कहानियों (Premchand Stories Hindi) को पीडीऍफ़ रूप में ...

  5. Jan 6, 2022 · Most Popular 145 Munshi Premchand Stories in Hindi. हिंदी और उर्दू के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में शुमार “मुंशी प्रेमचंद” का मूल नाम धनपत राय था| प्रेमचंद ने अपने ...

  6. दूध की क़ीमत. जाति प्रथा के कारण उपजी अमान्यता को रेखांकित करने वाली ढे़र सारी कहानियाँ प्रेमचंद जी ने लिखी हैं। ‘दूध का दाम’ नामक ...

  7. मुंशी प्रेमचंद हिंदी के उन लेखकों में से हैं, जिन्होंने आम हिंदुस्तानियों की ज़बान में उन्हीं की कहानियाँ बयाँ की हैं। उस समय भारत एक तरफ अँग्रेज़ों का गुलाम था, तो दूसरी ओर समाज में फैली विसंगतियों और विडंबनाओं के मार झेल रहा था। प्रेमचंद की कहानियाँ किसानों की समस्या, औरतों की दुर्दशा, दलितों की बदहाली सहित अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों को अपना विषय ब...

  8. Short stories of Premchand | Rekhta. 1880 - 1936 | Banaras, India. The first prominent Hindi-Urdu fiction writer who gave artistic expression to social concerns through his novel and stories.

  9. www.rekhta.org › stories › kafan-premchand-storiesकफ़न - Rekhta

    स्टोरीलाइन. यह एक बहुस्तरीय कहानी है, जिसमें घीसू और माधव की बेबसी, अमानवीयता और निकम्मेपन के बहाने सामन्ती औपनिवेशिक गठजोड़ के दौर की सामाजिक आर्थिक संरचना और उसके अमानवीय/नृशंस रूप का पता मिलता है। कहानी में कफ़न एक ऐसे प्रतीक की तरह उभरता है जो कर्मकाण्डवादी व्यवस्था और सामन्ती औपनिवेशिक गठजोड़ के लिए समाज को मानसिक रूप से तैयार करता है।. (1)

  10. गुल्ली-डंडा. हमारे अँग्रेजी दोस्त मानें या न मानें मैं तो यही कहूँगा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है। अब भी कभी लड़कों को गुल्ली-डंडा खेलते देखता हूँ, तो जी लोट-पोट हो जाता है कि इनके साथ जाकर खेलने लगूँ। न लान की जरूरत, न कोर्ट की, न नेट की, न थापी की। मजे से किसी पेड़ से एक टहनी काट ली, गुल्ली बना ली, और दो आदमी भी आ जाए, तो खेल शुरू हो गया।.