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  1. गिरधर की कुंडलियाँ Giridhar Ki Kundaliya. १.लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिये संग।. गहरि, नदी, नारी जहाँ, तहाँ बचावै अंग॥. जहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारै।. दुश्मन दावागीर, होयँ तिनहूँ को झारै॥. कह गिरिधर कविराय सुनो हो धूर के बाठी॥. सब हथियार न छाँड़ि, हाथ महँ लीजै लाठी॥.

  2. Aug 23, 2022 · गिरिधर कविराय मूलतः कुंडलियाँ लिखते थे जिनकी विशेषता होती हैं इनकी छह पंक्तियाँ | गिरिधर कवी अपनी दूसरी पंक्ति के अंतिम भाग का प्रयोग बड़े ही अनूठे ढंग से तीसरी पंक्ति के प्रथम भाग में करते थे जिससे कुंडली का सार अत्यंत रोचक बन जाता था | इनकी सबसे बड़ी विशेषता होती थी भाषा का सरलीकरण, जो आम व्यक्ति को सीधे पढ़कर भाव स्पष्ट कर देती थी | यह सभी कु...

  3. Feb 26, 2022 · भावार्थ- उपर्युक्त कुंडलिया के रचयिता गिरिधर कविराय हैं। वे कहते हैं संसार में सर्वत्र गुणी व्यक्ति का आदर और सम्मान होता है। गुणों के प्रशंसक हजारों होते हैं, पर ऐसे व्यक्ति को कोई नहीं पूछता जिसमें कोई गुण न हों। इसीलिए व्यक्ति को अपने में गुणों का विकास करना चाहिए। कवि ने कौए और कोयल का उदाहरण देकर अपनी बात स्पष्ट की है। कौए और कोयल दोनों का ...

  4. नई सृष्टि नई स्त्री - 2022. बीती ताहि बिसारि दे - गिरिधर कविराय संपूर्ण कुंडलियाँ हिन्दवी पर उपलब्ध हैं।.

  5. जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न पावै।. खान पान सन्मान, राग रंग मनहिं न भावै॥. कह गिरिधर कबिराय दुःख कछु टरत न टारे।. खटकत है जिय माहिं ...

  6. दौलत पाइ न कीजिये, सपने में अभिमान।. चंचल जल दिन चारिको, ठाउँ न रहत निदान॥. ठाउँ न रहत निदान, जियत जग में यश लीजै।. मीठे बचन सुनाय, बिनय ...

  7. Giridhar Kaviray Kundaliya available in Hindi, Urdu, and Roman scripts. Access to poetry videos, audios & Ebooks of Giridhar Kaviray.

  8. Dec 26, 2020 · गिरधर कविराय की कुंडलियां. दौलत पाय न कीजिए, सपनेहु अभिमान. गुन के गाहक सहस नर, बिन गुन लहै न कोय. बिना विचारे जो करै, सो पाछे पछिताय गिरधर कविराय. जो जल बाढै नाव में, घर में बाढै दाम गिरधर कविराय. कह गिरधर कविराय छांह मोटे की गहिये. लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग गिरधर कविराय. जानो नहीं जिस गाँव में, काहे बूझनो नाम गिरधर कविराय.

  9. Jan 14, 2023 · Giridhar Kavirai, the famous medieval Hindi poet wrote kundaliyan that contained common wisdom . Here is a sample.

  10. कुण्डलियाँ (लोक-नीति) गिरिधर कविराय. Kundaliyan (Lok-Neeti) Giridhar Kavirai. 1. दौलत पाय न कीजिए, सपनेहु अभिमान।. चंचल जल दिन चारिको, ठाउं न रहत निदान॥. ठाउं न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।. मीठे बचन सुनाय, विनय सबही की कीजै॥. कह 'गिरिधर कविराय अरे यह सब घट तौलत।. पाहुन निसिदिन चारि, रहत सबही के दौलत॥. (पाहुन=अतिथि,मेहमान) 2.