Yahoo India Web Search

Search results

  1. कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी, द्वंदगीत, बापू, धूप छाँह, मिर्च का मज़ा, सूरज का ब्याह. विविध. काव्य संग्रह उर्वशी के लिये 1972 के ...

  2. कुरूक्षेत्र : रामधारी सिंह 'दिनकर' (हिन्दी कविता) Kurukshetra : Ramdhari Singh Dinkar. प्रथम सर्ग. वह कौन रोता है वहाँ- इतिहास के अध्याय पर, जिसमें लिखा है, नौजवानों के लहु का मोल है. प्रत्यय किसी बूढे, कुटिल नीतिज्ञ के व्याहार का; जिसका हृदय उतना मलिन जितना कि शीर्ष वलक्ष है; जो आप तो लड़ता नहीं, कटवा किशोरों को मगर, आश्वस्त होकर सोचता,

  3. सर्वर होस्टिंग. OpenLX Technologies Pvt. Ltd. इस पृष्ठ का पिछला बदलाव 12 जून 2019 को 02:01 बजे हुआ था।. यह पृष्ठ 32,12,048 बार देखा गया है।. गोपनीयता नीति. रश्मिरथी ...

  4. Mar 20, 2020 · Ramdhari Singh Dinkar Poems In Hindi : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं वीरता, विद्रोह और क्रांति के शब्दों से भरी हुई हैं। उनकी कविताएं व्यक्ति ...

  5. Jul 11, 2023 · भारतीय साहित्य की गर्वभारी परंपरा में रामधारी सिंह दिनकर का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि रहे हैं, जिन्होंने अपनी अद्वितीय रचनाओं से देशभक्ति और मानवता के संदेश को सुन्दरता के साथ प्रस्तुत किया। उनकी कविताओं का संग्रह हमें एक रोचक और गहराई से सम्पन्न साहित्यिक यात्रा प्रदान करता है।.

  6. . कविता कोश से जुड़ें. कृष्ण की चेतावनी / रामधारी सिंह "दिनकर" भ्रमण खोज. रामधारी सिंह "दिनकर" » वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर।. सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है।. मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को,

  7. रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। [1] [2] वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को इनके काव्य की मूल-भूमि मानते हुए इन्हे 'युग-चारण' व 'काल के चारण' की संज्ञा दी गई है। [3]

  8. Ramdhari Singh (23 September 1908 – 24 April 1974), known by his pen name Dinkar, was an Indian Hindi language poet, essayist, freedom fighter, patriot and academic. He emerged as a poet of rebellion as a consequence of his nationalist poetry written in the days before Indian independence .

  9. दिनकर जी की वीर रस की कविताएं आपको सदा जोश से भर देंगी। इन्हीं कविताओं में से एक प्रसिद्ध कविता, “ सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ” भी है। जो कि भारत के गणतंत्र की घोषणा यानि कि लोकतंत्र के पक्ष में लिखी गयी थी। जिसका उद्देश्य लोकतंत्र में जनता को जनार्दन का सम्मान देना और समाज को जागरूक करना था।. सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी.

  10. 5 days ago · Ramdhari Singh Dinkar Poetry: उठकर जरा देख तो ले, जगती में सावन आया है. Read more about ramdhari singh dinkar, ramdhari singh dinkar poems for students, ramdhari singh dinkar ki kavitayen on amar ujala kavya. ... Kavita. जेठ नहीं, यह जलन हृदय की, उठकर जरा देख तो ले; जगती में सावन आया है, ...