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  1. चम्पारण सत्याग्रह - विकिपीडिया. महात्मा गांधी के नेतृत्व में बिहार के चम्पारण जिले में सन् 1917 को एक आंदोलन हुआ, इसे चम्पारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। गांधीजी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह था। इसमें बिहार के राजकुमार शुक्ल, सौरभ कुमार, यश शर्मा. और मुकुटधारी प्रसाद चौहान ने महात्मा गांधी का भरपूर साथ दिया था।.

  2. Feb 15, 2024 · चंपारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha in Hindi) ने भारत में मोहनदास करमचंद गांधी के प्रयोगों की शुरुआत की। गांधी और उनके सहयोगी गांवों के दौरे पर गए, स्थानीय लोगों के साथ खुली बातचीत में शामिल हुए। उन्होंने सफलतापूर्वक मांग की कि तिनकठिया प्रथा को समाप्त किया जाए और किसानों की शिकायतों को सुनने के बाद अवैध बकाया के लिए मुआवजा दिया जाए। नतीजतन, ...

  3. Nov 1, 2023 · चंपारण सत्याग्रह आंदोलन निबंध Champaran Satyagraha Movement In Hindi) 19th April 1917. अंग्रेजों की विरुद्ध गांधी जी के नेतृत्व में कई आंदोलन हमारे देश में किए गए थे और इन्हीं आंदोलनों में से एक आंदोलन का नाम चंपारण सत्याग्रह था. जो कि किसानों से जुड़ा हुआ था.19 अप्रैल, 1917 को शुरू किए गए इस आंदोलन को इस साल सौ साल पूरे हो गए हैं.

  4. चम्पारन सत्याग्रह ( अंग्रेज़ी: Champaran Satyagraha) गांधीजी के नेतृत्व में बिहार के चम्पारण जिले में सन् 1917 में हुआ। गांधीजी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह था। अंग्रेज़ बाग़ान मालिकों ने चम्पारन के किसानों से एक अनुबन्ध करा लिया था, जिसमें उन्हें नील की खेती करना अनिवार्य था। नील के बाज़ार में गिरावट आने से कारखाने बन्द हो...

  5. Dec 26, 2019 · दरअसल, चंपारण जिले के किसानों से जबरन अंग्रेज बागान मालिकों द्धारा नील की खेती करवाई जाती थी, जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान हो रहा था। वहीं ऐसे में अंग्रेज लगान बढ़ाकर किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे जिसके चलते गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया था।.

  6. May 6, 2022 · कल्पना पांडे. अप्रैल मे चंपारण के किसान आंदोलन को 105 वर्ष पूर्ण हुए। खेती के कॉर्पोरेटाइजेशन या कंपनीकरण और शोषण की संगठित लूट के खिलाफ चले आंदोलन की कई मांगों की जड़ें चंपारण तक पहुंची मिलेंगी। इसके पहले विद्रोह हुए थे, परंतु इस तरह का संगठित नियोजनपूर्ण प्रयास नहीं हुआ था।.

  7. चंपारण में नील की खेती की प्रमुख प्रणाली तिनकठिया प्रणाली थी। इसमें किसान को अपनी भूमि के तीन कट्ठे प्रति बीघा (१ बीघा = २० कट्ठा), यानी अपनी भूमि के ३/२० हिस्से में नील की खेती करने की बाध्यता थी। इसके लिए कोई कानूनी आधार नहीं थे। यह केवल नील फ़ैक्टरी के मालिकों (प्लांटरों) की इच्छा पर तय किया गया था। इसके अतिरिक्त, सन् १९०० के बाद, यूरोप के कृ...