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  1. Apr 15, 2018 · यहाँ पढ़ें प्रसिद्ध गीतकार, कवि, पटकथा लेखक और नाटककार गुलज़ार साहिब की कुछ हिंदी कविताएं। उनकी कविताएं मन की शक्ति, किताबें, मैं कहाँ हूँ, मैं कहाँ हूँ हैं

    • छैंया-छैंया (Chhainya Chhainya) – Gulzar
    • यार जुलाहे (Yaar Julahe) – Gulzar
    • पुखराज (Pukhraj) – Gulzar
    • रात पश्मीने की (Raat Pashmine Ki) – Gulzar
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    ‘छैंया-छैंया’ के बैक कवर से रोज़गार के सौदों में जब भाव-ताव करता हूँ गानों की कीमत मांगता हूँ – सब नज्में आँख चुराती हैं और करवट लेकर शेर मेरे मूंह ढांप लिया करते हैं सब वो शर्मिंदा होते हैं मुझसे मैं उनसे लजाता हूँ बिकनेवाली चीज़ नहीं पर सोना भी तुलता है तोले-माशों में और हीरे भी ‘कैरट’ से तोले जाते हैं मैं तो उन लम्हों की कीमत मांग रहा था जो मैं अ...

    1. मुझको भी तरकीब सिखा कोई, यार जुलाहे

    मुझको भी तरकीब सिखा कोई यार जुलाहे अक्सर तुझको देखा है कि ताना बुनते जब कोई तागा टूट गया या ख़तम हुआ फिर से बाँध के और सिरा कोई जोड़ के उसमें आगे बुनने लगते हो तेरे इस ताने में लेकिन इक भी गाँठ गिरह बुनतर की देख नहीं सकता है कोई मैंने तो इक बार बुना था एक ही रिश्ता लेकिन उसकी सारी गिरहें साफ़ नज़र आती हैं मेरे यार जुलाहे

    2. शहतूत की शाख़ पे

    शहतूत की शाख़ पे बैठा कोई बुनता है रेशम के तागे लम्हा-लम्हा खोल रहा है पत्ता-पत्ता बीन रहा है एक-एक सांस बजा कर सुनता है सौदाई एक-एक सांस को खोल के अपने तन पर लिपटाता जाता है अपनी ही साँसों का क़ैदी रेशम का यह शायर इक दिन अपने ही तागों में घुट कर मर जाएगा

    3. मुझसे इक नज़्म का वादा है

    मुझसे इक नज़्म का वादा है, मिलेगी मुझको डूबती नब्ज़ों में, जब दर्द को नींद आने लगे ज़र्द सा चेहरा लिए चाँद, उफ़क़ पर पहुंचे दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के क़रीब न अँधेरा, न उजाला हो, यह न रात, न दिन ज़िस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आए मुझसे इक नज़्म का वादा है मिलेगी मुझको

    1. आमीन

    ख्याल, सांस नज़र, सोच खोलकर दे दो लबों से बोल उतारो, जुबां से आवाज़ें हथेलियों से लकीरें उतारकर दे दो हाँ, दे दो अपनी ‘खुदी’ भी की ‘खुद’ नहीं हो तुम उतारों रूह से ये जिस्म का हसीं गहना उठो दुआ से तो ‘आमीन’ कहके रूह दे दो

    2. मरिय

    मरात में देखो झील का चेहरा किस कदर पाक, पुर्सुकुं, गमगीं कोई साया नहीं है पानी पर कोई सिलवट नहीं है आँखों में नीन्द आ जाये दर्द को जैसे जैसे मरियम उडाद बैठी हो जैसे चेहरा हटाके चेहरे का सिर्फ एहसास रख दिया हो वहाँ

    3. आह!

    ठंडी साँसे ना पालो सीने में लम्बी सांसों में सांप रहते हैं ऐसे ही एक सांस ने इक बार डस लिया था हसी क्लियोपेत्रा को मेरे होटों पे अपने लब रखकर फूँक दो सारी साँसों को ‘बीबा’ मुझको आदत है ज़हर पीने की

    1. बोस्की-१

    बोस्की ब्याहने का समय अब करीब आने लगा है जिस्म से छूट रहा है कुछ कुछ रूह में डूब रहा है कुछ कुछ कुछ उदासी है, सुकूं भी सुबह का वक्त है पौ फटने का, या झुटपुटा शाम का है मालूम नहीं यूँ भी लगता है कि जो मोड़ भी अब आएगा वो किसी और तरफ़ मुड़ के चली जाएगी, उगते हुए सूरज की तरफ़ और मैं सीधा ही कुछ दूर अकेला जा कर शाम के दूसरे सूरज में समा जाऊँगा !

    बोस्की-२

    नाराज़ है मुझसे बोस्की शायद जिस्म का एक अंग चुप चुप सा है सूजे से लगते है पांव सोच में एक भंवर की आँख है घूम घूम कर देख रही है बोस्की,सूरज का टुकड़ा है मेरे खून में रात और दिन घुलता रहता है वह क्या जाने,जब वो रूठे मेरी रगों में खून की गर्दिश मद्धम पड़ने लगती है

    2. कायनात-१

    बस चन्द करोड़ों सालों में सूरज की आग बुझेगी जब और राख उड़ेगी सूरज से जब कोई चाँद न डूबेगा और कोई जमीं न उभरेगी तब ठंढा बुझा इक कोयला सा टुकड़ा ये जमीं का घूमेगा भटका भटका मद्धम खकिसत्री रोशनी में! मैं सोचता हूँ उस वक्त अगर कागज़ पे लिखी इक नज़्म कहीं उड़ते उड़ते सूरज में गिरे तो सूरज फिर से जलने लगे!!

    यहाँ पर गुलज़ार जी के हिंदी में कविताएँ का संग्रह पढ़ें. गुलज़ार जी को गीत, पटकथा, निर्देशक एवं कविता के काम में सम्मानित किया गया हैं.

  2. गुलज़ार की समस्त शायरी, ग़ज़ल, नज़्म और अन्य विधाओं का लेखन तथा ई-पुस्तकें यहाँ उपलब्ध हैं, उनकी ऑडियो-विडियो से भी लाभान्वित हो सकते हैं.

    • din kuchh aise guzarta hai koi.
    • hath chhuTen bhi to rishte nahin chhoDa karte.
    • sham se aankh mein nami si hai.
    • dard halka hai sans bhaari hai.
  3. गुलज़ार की नज़्में उर्दू, हिन्दी एवं इग्लिश में उपलब्ध हैं। इन नज्मों की वीडियो देखें एवं सुने, ई-पुस्तक पढें ।.

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  5. गुलज़ार साहब की शायरियां – Gulzar Shayari in Hindi. गुलजार की शायरी पढ़कर युवाओं का साहित्य के विषय पर ज्ञान तो बढ़ेगा ही साथ ही, वह साहित्य के प्रति सम्मान का भाव प्रकट कर पाएंगे। Gulzar Shayari in Hindi कुछ इस प्रकार है; हम समझदार भी इतने हैं के. उनका झूठ पकड़ लेते हैं. और उनके दीवाने भी इतने के फिर भी. यकीन कर लेते है. Source: Pinterest.