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  1. महादेवी वर्मा जी. जन्म. 26 मार्च 1907. फ़र्रुख़ाबाद, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, ब्रिटिश राजਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ. मौत. 11 सितम्बर 1987. ( 1987-09-11) (उम्र 80 ...

  2. Jan 25, 2022 · महादेवी वर्मा (अंग्रेजी: Mahadevi Verma; जन्म: 26 मार्च 1907, मृत्यु: 11 सितम्बर 1987) छायावादी आंदोलन की कवयित्री व लेखिका थी। उन्हें आधुनिक मीरा भी कहा जाता है। वर्मा की कविताएँ व कहानियाँ पाठक के दिमाग में सदृश चित्र अंकित कर देती हैं।.

  3. Nov 3, 2023 · महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Biography in HIndi : महादेवी वर्मा छायावाद युग की मशहूर कवयित्री मानी जाती है उन्होंने अपने कविता के माध्यम ...

  4. Jul 7, 2019 · महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय – Mahadevi Verma Biography in Hindi. पूरा नाम (Name) महादेवी वर्मा. जन्म (Birthday) 26 मार्च, 1907, फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश. मृत्यु (Death) 11 ...

  5. महादेवी वर्मा का परिचय. उपनाम : 'महादेवी वर्मा'. मूल नाम : महादेवी वर्मा. जन्म : 26 मार्च 1907 | फ़र्रूख़ाबाद, उत्तर प्रदेश. निधन : 11 सितंबर 1987 ...

  6. महादेवी वर्मा जीवनी - Biography of Mahādevī Varmā in Hindi Jivani. Published By : Jivani.org. महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को होली के दिन फरुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था ...

  7. दीपशिखा. महादेवी वर्मा के आठ कविता संग्रह हैं- 1. नीहार (1930), 2. रश्मि (1932), 3. नीरजा (1934), 4. सांध्यगीत (1936), 5. दीपशिखा (1942), 6. सप्तपर्णा (अनूदित 1959), 7. प्रथम आयाम (1974) और 8. अग्निरेखा (1990) संकलन. इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे काव्य संकलन भी प्रकाशित हैं, जिनमें उपर्युक्त रचनाओं में से चुने हुए गीत संकलित किये गये हैं, जैसे 1.

  8. काव्य विशेषताएँ. महादेवी के काव्य में भाव समृद्धि तथा शैल्पिक सौन्दर्य का आकर्षक समन्वय है। आपके काव्य की उभयपक्षीय विशेषताएँ इस प्रकार हैं- भाव पक्ष.

  9. Mahadevi Verma in Hindi : बेबाक सजग सहज हिंदी साहित्य की एक अदभुत प्रतिभा ममतामयी म्य्सी महादेवी वर्मा. वो ऐसी ही थी वो ना सिर्फ अपने अधिकार के लिए लड़ना जानती थी बल्कि उन्होंने देशभर की महिलाओ को उनके अधिकार बताए अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया. महादेवी वर्मा जिन्हें आधुनिक मीरा के नाम से जाना जाता है.

  10. mahadevi verma biography in Hindi – 20वीं शताब्दी की शुरुआत में जब समूचा देश गुलामी की गिरफ्त में था, ब्रिटिश हुकुमत का विस्तार अपने चरम पर था, वहीं दूसरी तरफ हिन्दी साहित्य अपने स्वर्ण काल से गुजर रहा था। कश्मीर से कन्याकुमारी तक कविओं और लेखकों के दौर का आगाज हो चुका था, फिर चाहे वो राष्ट्रभक्ति की आवाज बुलंद करतीं दुष्यंत कुमार की कविताएं हो ...