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  1. सूरदास भक्तिकाल के सगुण धारा (ईश्वर की आकृति पर विश्वास रखने वाले) के कवि थे. वह भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे. उन्होंने अपनी रचनाओं में भगवान श्री कृष्ण का श्रृंगार और शांत रस में बेहद ही मर्मस्पर्शी वर्णन किया हैं. सूरदास से जुडी जानकारी (Fact About Surdas) सूरदास का जन्म (Surdas Birth)

  2. सूरदास ( संस्कृत : सूरदास , रोमानी भाषा में : सूरदास ) 16वीं सदी के हिंदू भक्ति कवि और गायक थे, जो भगवान कृष्ण की प्रशंसा में लिखे गए अपने ...

  3. सूरदास का जीवन परिचय (Surdas biography in Hindi) Surdas ka jeevan parichay हिन्दी साहित्य के भक्तकालीन कवियों में सूरदास (Surdas) का स्थान सर्वोपरि है। सूरदास (Surdas) भगवान ...

  4. Jan 24, 2024 · दरअसल सूरसागर की रचना सूरदास जी ने ही की थी। सूरसागर को हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। माना जाता है कि इस ग्रंथ को 15 वीं ...

  5. Surdas Ka Jivan Parichay: हिंदी साहित्य में ‘सगुण भक्ति काव्यधारा’ में महाकवि सूरदास कृष्ण भक्ति काव्य के प्रवर्तक माने जाते हैं।

  6. Surdas ka jivan parichay - इस पोस्ट में सूरदास के जीवन परिचय ( जन्म स्थान, गुरु, जाति, निवास, रचनाएँ व काव्यगत विशेषताएँ, मृत्यु ) निम्नलिखित हैं।.

  7. सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गाँव में हुआ। यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है। कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाद में ये आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। सूरदास के पिता रामदास गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में मतभेद है। प्रारंभ ...

  8. Surdas Biography in Hindi – surdas jeevani in hindi. भक्तिकाल को भारत का स्वर्णकाल माना जाता है। यही वो दौर था, जब दक्षिण भारत से शुरू हुआ भक्ति आंदोलन बेहद कमसमय ...

  9. en.wikipedia.org › wiki › SurdasSurdas - Wikipedia

    Surdas (Sanskrit: सूरदास, romanized: Sūradāsa) was a 16th-century blind Hindu devotional poet and singer, who was known for his works written in praise of Krishna. His compositions captured his devotion towards Krishna.

  10. Sep 13, 2020 · साहित्य लहरी. सूरसागर | Sursagar : यह गीती काव्य के रूप में लिखी गई मुक्तक काव्य रचना है। इसे हिंदी का श्रीमद्भागवत पुराण कहा जाता है।. भागवत पुराण 12 इस स्कंधों में विभाजित है और सूरसागर भी 12 इस स्कंधों में विभाजित है। दोनों के दशम स्कंध में भ्रमरगीत प्रसंग मिलता है।.