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  1. मीराबाई (1498-1547) सोलहवीं शताब्दी की एक कृष्ण भक्त और कवयित्री थीं। मीरा बाई ने कृष्ण भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है। संत रैदास या ...

  2. Aug 22, 2019 · श्री कृष्ण की दीवानी के रूप में मीराबाई को कौन नहीं जानता। मीराबाई एक मशहूर संत होने के साथ-साथ हिन्दू आध्यात्मिक कवियित्री और भगवान कृष्णा की भक्त थी। वे श्री कृष्ण की भक्ति और उनके प्रेम में इस कदर डूबी रहती थी कि दुनिया उन्हें श्री कृष्ण की दीवानी के रुप में जानती है।.

  3. Sep 17, 2015 · Mira Bai Biography in Hindi. जीवनी. जन्म: 1498, मेड़ता, राजस्थान. मृत्यु: 1547. कार्यक्षेत्र: कवियित्री, महान कृष्ण भक्त.

  4. Aug 23, 2020 · भक्तिमती मीराबाई ( Meerabai) भगवान कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती हैं ।. वह बचपन से ही बहुत नटखट और चंचल स्वभाव की थी। उनके पिता की तरह वह ...

  5. Nov 1, 2021 · मीराबाई (अंग्रेजी: Mirabai; जन्म: 1498 ई., मृत्यु: 1547 ई.) भगवान श्रीकृष्ण की एक महान भक्त थी जिन्हें “राजस्थान की राधा” भी कहा जाता है। मीरा एक ...

  6. मीरा बाई की कहानी - मीराबाई भक्तिकाल की एक ऐसी संत हैं, जिनका सबकुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। मीरा का कृष्ण प्रेम ऐसा था कि वह उन्हें अपना पति मान बैठी थीं। भक्ति की ऐसी चरम अवस्था कम ही देखने को मिलती है। आइए जानें मीराबाई के जीवन की कुछ रोचक बातें: Article Nov 3, 2021.

  7. Dec 25, 2023 · 16वीं सदी की भारतीय कवयित्री और भगवान कृष्ण की भक्त थीं। उन्हें उनकी गहन भक्ति के लिए मनाया जाता है, जिसे भक्ति गीतों और कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया जाता है जिन्हें भजन कहा जाता है। भगवान कृष्ण के प्रति मीराबाई के अटूट प्रेम ने सामाजिक मानदंडों को पार कर लिया, जिससे उन्हें परंपरा को चुनौती देने और आध्यात्मिक भक्ति का जीवन अपनाने के लिए प्रे...

  8. Aug 4, 2018 · मीराबाई (1498-1547) सोलहवीं शताब्दी की एक अद्भुत कवयित्री, गायिका, कृष्ण भक्त और एक संत थीं। मीराबाई की रचनाएँ भारत भर में लोकप्रिय हैं। मीराबाई श्री गुरु रविदास की शिष्या थीं और 200 से 1300...

  9. Jun 17, 2024 · By Editor / June 17, 2024. मीरा बाई की जीवनी (Mira Bai Biography In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। पढ़िए Mira Bai Ka Jivan Parichay. मीराबाई भारतीय भक्ति आंदोलन की एक प्रमुख संत ...

  10. बचपन से ही मीरा कृष्ण भक्ति में लीन रहती थी । पति की मृत्यु के बाद परिवार वालों ने उसे मारने के कई प्रयास किए । इन सभी कारणों से मीरा बाई परेशान होकर मेवाड़ त्याग दिया और द्वारिका जाकर कृष्ण भक्ति में जीवन व्यतीत करने लगी ।. यह कहा जाता है की मीरा यहीं भजन गाते- गाते मीरा कृष्ण जी की मूर्ति में समा गई । यह घटना सन 1546 की बताई जाती है ।.