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Jun 5, 2020 · रहीम दास जी के काव्य में रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित के प्रकार के कुछ उदाहरण देकर पढ़ें। रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित के प्रकार के कुछ उदाहरण देकर पढ़ें।
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- रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय। टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।। अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता। यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है।
- दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय।। अर्थ : दुःख में सभी लोग भगवान को याद करते हैं. सुख में कोई नहीं करता, अगर सुख में भी याद करते तो दुःख होता ही नहीं|
- रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि। जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।। अर्थ: बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता। जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती।
- रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ, जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ।। अर्थ: रहीम कहते हैं की आंसू नयनों से बहकर मन का दुःख प्रकट कर देते हैं। सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से कह ही देगा.
- रहीम के दोहे कक्षा 9 स्पर्श भाग 1 पाठ 8
- रहीम के दोहे पाठ प्रवेश
- रहीम के दोहे पाठ सार
- रहीम के दोहे पाठ की व्याख्या
- दोहे Ncert Solutions
यहाँ हम हिंदी कक्षा 9 ”स्पर्श – भाग 1” के काव्य खण्ड पाठ 8 “दोहे” के पाठ प्रवेश, पाठ सार, पाठ व्याख्या, कठिन शब्दों के अर्थ, अतिरिक्त प्रश्न और NCERT पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर इन सभी बारे में जानेंगे – By Shiksha Sambra 1. दोहे पाठ प्रवेश 2. See Video Explanation of Chapter 8 Dohe 3. रहीम के दोहे पाठ सार 4. रहीम के दोहे पाठ की व्याख्या 5. ...
प्रस्तुत पाठ में रहीम के नीतिपरक दोहे दिए गए हैं। यहाँ दिया गया हर एक दोहा हमारे जीवन की किसी न किसी स्थिति से जुड़ा हुआ है। ये दोहे जहाँ एक ओर इन्हें पढ़ने वालों को औरों के साथ कैसा बरताव करना चाहिए, कैसा व्यवहार करना चाहिए, इसकी शिक्षा देते हैं, वहीं मानव मात्र को करणीय अर्थात करने योग्य और अकरणीय अर्थात न करने योग्य आचरण या व्यवहार की भी नसीहत य...
प्रस्तुत पाठ में रहीम के ग्यारह दोहे दिए गए हैं, जो हमारे जीवन की किसी न किसी परिस्थिति से जुड़े हुए हैं। पहले दोहे में रहीम जी कहते हैं कि प्रेम का बंधन किसी धागे के समान होता है, जिसे कभी भी झटके से नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि जब कोई धागा एक बार टूट जाता है तो फिर उसे जोड़ा नहीं जा सकता। उसी प्रकार किसी से रिश्ता जब एक बार टूट जाता है तो फिर उस रिश...
दोहा रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥ शब्दार्थ चटकाय – झटके से परि जाय –पड़ जाती है व्याख्या– रहीम जी कहते हैं कि प्रेम का बंधन किसी धागे के समान होता है, जिसे कभी भी झटके से नहीं तोड़ना चाहिए बल्कि उसकी हिफ़ाज़त करनी चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि प्रेम का बंधन बहुत नाज़ुक होता है, उसे कभी भी बिना किसी...
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए प्रश्न 1 – प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता? उत्तर – जिस प्रकार जब कोई धागा टूट जाता है और उस टूटे हुए धागे को जोड़ने के लिए उसमें गाँठ लगानी पड़ती है। जिसके कारण वह पहले की तरह नहीं हो पाता, उसी तरह से जब कोई रिश्ता टूट जाता है और उस रिश्ते के टूटने के बाद रिश्तों को फिर जोड़कर पहले की तरह ...
Feb 6, 2022 · Rahim Ke Dohe. अंजन दियो तो किरकिरी, सुरमा दियो न जाय।. जिन आँखिन सों हरि लख्यो, रहिमन बलि बलि जाय॥. अर्थ: रहीमदास जी कहते है इन आँखों में काजल और सुरमा लगाना व्यर्थ है जो लोग इन आँखों में ईश्वर को बसाते है वे लोग धन्य होते है. असमय परे रहीम कहि, माँगि जात तजि लाज।. ज्यों लछमन माँगन गये, पारासर के नाज ॥.
Learn the famous couplets or dohe of Abdul Rahim Khan-e-Khana, one of the Navratnas of Akbar's court. Find the meaning of his dohe in Hindi and English, such as the one about love and friendship.
रहीम के दोहे हिंदी में कविताओं की संग्रह है, जिनमें प्रेम, समय, संकर के समानता के प्रकार्पण हैं। हिंद्वी वेबसाइट पर रहीम के दोहे को पढ़ने के लिए क्लिक करें
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रहीम दास जी के दोहे से क्या सीखना चाहिए?
रहीम दास जी की भाषा शैली क्या है?
रहीम के ग्रंथो में क्या प्रसिद्ध है?
रहीम के अनुसार गुणों से रहित होने पर क्या होता है?
Sep 3, 2018 · रहीम दास के दोहे. Rahim Das Ke Dohe With Meaning in Hindi. –1–. बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय. अर्थ: मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा. –2–.