Search results
सबको मुक्त समीरण. बाधा रहित विकास, मुक्त. आशंकाओं से जीवन ।. व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि रामधारी सिंह दिनकर जी कहते है कि यह धरती किसी की खरीदी हुई दासी नहीं है .इस पर जन्म लेने वाले सभी एक सामान है . उन सभी को खुला आसमान चाहिए ,जिससे वे धूप और चाँदनी सभी का समान आनंद ले सके .
Apr 14, 2023 · यह पृथ्वी पर जन्म लेने वाले सभी लोगों का यह अधिकार है कि उनका विकास शो उनके विकास मैं किसी प्रकार की बाधा नायब उन्हें किसी प्रकार की चिंता आशंका यह भय का सामना करना पड़ा है।
इस पृक्ष्ठ में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को स्वर्ग के समान बनाने की कहानी की सारांश प्रस्तुत की गई है। प्रस्तुत कविता में भारत की सामाजिक दशा, उसके विकास में उपस्थित बाधाओं और उस
Swarg Bana Sakte Hai poem with detailed explanation, word meanings, analysis and summary of the poem. As per the revised syllabus for ICSE 2023 examinations....
- 16 min
- Poonam Gupta's Class
Oct 1, 2020 · सब हो सकते तुष्ट एक-सा. सब सुख पा सकते हैं. चाहें तो पल में धरती को. स्वर्ग बना सकते हैं।. शब्दार्थ : तुष्ट–संतुष्ट, स्वर्ग–देवलोक ...
प्रश्न. (i) धरती पर किसका दिया हुआ क्या फैला हुआ है ? स्पष्ट कीजिए।. (ii) "कहाँ अभी इतने नर" पंक्ति से कवि क्या समझाना चाहते हैं ? (iii) यहाँ किनके तुष्ट होने की बात की जा रही है ? वे क्यों तुष्ट नहीं हैं ? वे क्या पाकर संतुष्ट हो सकते हैं ?
#LearnwithAnitaMishra #sahityasagar #ICSEHINDIswarg bana sakte hai poem explanationWelcome to my YouTube channel Learn with Anita Mishra .Is channel par ap ...
- 13 min
- 16.3K
- Learn with Anita Mishra