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  1. साखी CBSE Class 10 Hindi Chapter 1 summary with detailed explanation of the lesson ‘Saakhi’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary and all the exercises, Question and Answers given at the back of the lesson.

  2. Mar 20, 2020 · kabir ki sakhi class 10 – कबीर की साखी. ऐसी बाँणी बोलिए मन का आपा खोई।. अपना तन सीतल करै औरन कैं सुख होई।।. कस्तूरी कुण्डली बसै मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि।. ऐसे घटी घटी राम हैं दुनिया देखै नाँहि॥. जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि हैं मैं नाँहि।. सब अँधियारा मिटी गया दीपक देख्या माँहि॥. सुखिया सब संसार है खाए अरु सोवै।. दुखिया दास कबीर है जागे अरु रोवै।।.

  3. कबीर की साखी अर्थ सहित – Kabir Ki Sakhi Class 10 Summary in Hindi. ऐसी बाँ णी बोलिये, मन का आपा खोइ।. अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ।।. भावार्थ – कबीर कहते हैं की हमें ऐसी बातें करनी चाहिए जिसमें हमारा अहं ना झलकता हो। इससे हमारा मन शांत रहेगा तथा सुनने वाले को भी सुख और शान्ति प्राप्त होगी।. कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूंढै वन माँहि।.

  4. Mar 24, 2019 · NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 साखी. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास. (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- प्रश्न 1. मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है? उत्तर-

  5. Jan 11, 2022 · कबीर. साखी का सार. ‘साखी ‘ दोहा छंद है, जिसका लक्षण है – १३ और ११ मात्रा के विश्राम से २४ मात्रा और अंत में जगण ।’साखी ‘ शब्द ‘ साक्षी ‘ शब्द का ही तद्भव रूप है। साक्षी का अर्थ होता है -प्रत्यक्ष ज्ञान अर्थात जो ज्ञान सबको स्पष्ट दिखाई दे। यह प्रत्यक्ष ज्ञान गुरु द्वारा शिष्य को प्रदान किया जाता है।.

  6. Answer. भावार्थ - कबीर कहते हैं की हमें ऐसी बातें करनी चाहिए जिसमें हमारा अहं ना झलकता हो। इससे हमारा मन शांत रहेगा तथा सुनने वाले को भी सुख और शान्ति प्राप्त होगी।. शब्दार्थ: • बाँणी - बोली. • आपा - अहंकार. • सीतल - ठंडा. • तन - शरीर. 2. कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूंढै वन माँहि।. ऐसैं घटि-घटि राँम है, दुनियाँ देखै नाँहि।।. Answer.

  7. व्याख्या/भावार्थ- कबीरदास कहते हैं कि जिस प्रकार कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ हिरण की अपनी नाभि में ही होता है , किंतु वह उसकी सुगंध महसूस करके उसे पाने के लिए वन – वन में परेशान होकर भटकता रहता है , ठीक उसी प्रकार ईश्वर ( राम ) भी सृष्टि के कण – कण में तथा सभी प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं , किंतु संर में रहने वाले लोग अज्ञानतावश उसे देख ...

  8. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 1: कबीरदास की रचित कविता साखी उनके दोहों का एक छोटा संकलन है। कवि ने इनमें विविध विषयों पर दोहे लिखे हैं और उनके अनल वचनों के अर्थ जीवन की सीख हैं।.

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  10. व्याख्या -: कबीरदास जी कहते है कि जिस प्रकार एक हिरण कस्तूरी की खुशबु को जंगल में ढूंढ़ता फिरता है जबकि वह सुगंध उसी की नाभि में विद्यमान होती है परन्तु वह इस बात से बेखबर होता है, उसी प्रकार संसार के कण कण में ईश्वर विद्यमान है और मनुष्य इस बात से बेखबर ईश्वर को देवालयों और तीर्थों में ढूंढ़ता है। कबीर जी कहते है कि अगर ईश्वर को ढूंढ़ना ही है त...

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