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  1. ज्योतिष सीखें” नामक इस पाठ्यक्रम में आप केवल 2 मिनट में ज्योतिष ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिष सीखें - पाठ्यक्रम में आपको लगभग 2 मिनट की वीडियो के साथ ज्योतिष शास्त्र के बारे में बताया जाएगा। ज्योतिष सीखने के इस पाठ्यक्रम में आपको बहुत सहज और सरल भाषा में ज्योतिष ज्ञान को सिखाया जाएगा। आइये जानते हैं ज्योतिष विद्या सीखने के कुछ बेहद आसान तर...

  2. Jyotish: ज्योतिष शास्त्र, जिसे "ज्योतिष" या "जोतिष" भी कहते है, ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों की गतिविधियों का अध्ययन करके भविष्यवाणी (Astrology in ...

  3. फ्री हिंदी कुंडली सॉफ्टवेयर ऑनलाइन। फ्री ज्योतिष 2022, व्यक्तिगत कुंडली, चंद्र राशिफल, जन्म कुंडली मिलान और वैदिक ज्योतिष पर आधारित ...

  4. jyotish Vidhya in Hindi | जाने ज्योतिष शास्त्र से अपना दैनिक राशि भविष्यफल, भाग्यफल, वास्तु टिप्स और अन्य जीवन के उपाए | पढ़े ज्योतिष में कुंडली ...

  5. ज्योतिष या ज्यौतिष विषय वेदों जितना ही प्राचीन है। प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्‍य खगोलीय पिण्‍डों का अध्‍ययन करने के विषय ...

  6. 'ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम्' इसका अर्थ है कि ग्रह (ग्रह, नक्षत्र, आदि) और समय का ज्ञान देने वाले विज्ञान को ज्योतिष विज्ञान कहते हैं।. क्या है ज्योतिष ज्ञान का उद्देश्य?

  7. हिंदी भाषा के किसी ज्योतिषी से (Jyotish in Hindi) बात करने के लिए आपको अधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि एस्ट्रोटॉक पर 1000 से अधिक ...

  8. ज्योतिष के मुख् दो विभाग हैं - गणित और फलित। गणित के अन्दर मुख्‍य रूप से जन्‍म कुण्‍डली बनाना आता है। इसमें समय और स्‍थान के हिसाब से ग्रहों की स्थिति की गणना की जाती है। दूसरी ओर, फलित विभाग में उन गणनाओं के आधार पर भविष्‍यफल बताया जाता है। इस शृंखला में हम ज्‍यो‍तिष के गणित वाले हिस्से की चर्चा बाद में करेंगे और पहले फलित ज्‍योतिष पर ध्यान ...

  9. सूर्य - आत्म, आत्मविश्वास, पिता, जीवन शक्ति, रचनात्मकता और शक्ति। चंद्रमा - भाव, मन, माता, पोषण, रचनात्मकता, प्रतिक्रिया, संवेदनशीलता। मंगल - वीरता, आक्रामकता, साहस। शुक्र - सद्भाव, प्रेम और स्नेह, साहचर्य, विलासिता, रचनात्मकता। बृहस्पति - विस्तार, आशावाद, परिपक्वता, ज्ञान, भाग्य। शनि - जिम्मेदारी, सीमा, स्थिरता, प्रतिबद्धता, कड़ी मेहनत। बुध - व...

  10. भारतीय ज्योतिष प्रणाली से बनाए तिथिपत्र को पंचांग कहते हैं। पंचांग के पाँच अंग हैं : तिथि, वार, नक्षत्र, योग तथा करण। पंचांग में इनके अतिरिक्त दैनिक, दैनिक लग्नस्पष्ट, ग्रहचार, ग्रहों के सूर्यसान्निध्य से उदय और अस्त और चंद्रोदयास्त दिए रहते हैं। इनके अतिरिक्त इनमें विविध मुहूर्त तथा धार्मिक पर्व दिए रहते हैं।. इन्हें भी देखें.

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