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  1. धनपत राय श्रीवास्तव ( ३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि ती...

  2. प्रेमचंद के उपन्यास और प्रेमचंद की कहानियाँ (Premchand Ki Kahaniya in Hindi), सभी के लिंक आपको नीचे मिल जायेंगे. मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय. Munshi Prermchand Biography in Hindi.

  3. Apr 13, 2020 · Munshi Premchand Biography in Hindi – मुंशी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू में महान लेखक थे, जिनका जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। इनको नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता था। इनके पिता का नाम अजीब राय और माता का नाम आनंदी देवी था, पत्नी शिवरानी देवी थी। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योग्यदान को देखते हु...

  4. Jan 6, 2022 · Most Popular 145 Munshi Premchand Stories in Hindi. हिंदी और उर्दू के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में शुमार “मुंशी प्रेमचंद” का मूल नाम धनपत राय था| प्रेमचंद ने अपने ...

  5. मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी (बनारस) के पास स्थित एक गाँव लामाही में हुआ था और उनका नाम धनपत राय था । उनके पूर्वज एक बड़े कायस्थ परिवार से आए थे, जिनके पास आठ से नौ बीघा जमीन थी। उनके दादा, गुरु सहाय राय एक पटवारी (गांव भूमि रिकॉर्ड कीपर) थे, और उनके पिता अजैब लाल एक पोस्ट ऑफिस क्लर्क थे। उनकी माँ करौनी गाँव की आनंदी देवी थीं,...

  6. Mar 15, 2024 · मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं में प्रसिद्ध उपन्यास 18 से अधिक हैं, जिनमें ‘सेवासदन’, ‘निर्मला’, ‘रंगभूमि’, ‘कर्मभूमि’, ‘गबन’, ‘गोदान’ आदि प्रमुख हैं। उनकी कहानियों का विशाल संग्रह आठ भागों में ‘ मानसरोवर ‘ नाम से प्रकाशित है, जिसमें लगभग तीन सौ कहानियाँ संकलित हैं। ‘ कर्बला ‘, ‘ संग्राम ‘ और ‘ प्रेम की वेदी ‘ उनके नाटक हैं। साहित्यिक निबंध ‘ कुछ विचा...

  7. मुंशी प्रेमचंद (31 जुलाई 1880–8 अक्तूबर 1936) का जन्म वाराणसी से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था।उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फ़ारसी पढ़ने से हुआ और रोज़गार का पढ़ाने से। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा के पास करने के बाद वह एक स्थानिक पाठशाला में अध्यापक नियुक्त हो गए। 1910 में वह इंटर और 1919 में बी.ए. के पास करने ...